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उत्तराखंड हाइकोर्ट ने चारधाम यात्रा को शुरू करने के आदेश सरकार को दिए।
नैनीताल। (कांता पाल)उत्तराखंड हाइकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को खोलने के मामले पर सुनवाई की। सरकार द्वारा चारधाम यात्रा को खोलने के उच्च न्यायलय में आज शपथपत्र पेस किया । खण्डपीठ ने सरकार के शपथपत्र पर सुनवाई करते हुए प्रतिबंधों के आधार पर चारधाम यात्रा को शुरू करने के आदेश सरकार को दिए है। खण्डपीठ ने चारधाम यात्रा पर पूर्व में लगी रोक को हटा दिया है । आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। खंडपीठ ने राज्य सरकार को निम्न बिंदुओं पर यात्रा शुरू करने से पहले ध्यान देने के निर्देश दिए है:-
1:- चारधाम यात्रा में प्रत्येक दिन केदारनाथ धाम में 800 , बद्रीनाथ धाम में 1000, गंगोत्रि में 600, यमनोत्री धाम में कुल 400 श्रद्धालुओ को जाने की अनुमति दी है ।
2:- श्रद्धालु को आरटीपीसीआर और जिनको वेक्सीन के दोनों डोज लग चुके है उन्हें वेक्सीनेशन सर्फिफिकेट लाने को कहा है । 3:- चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने को कहा है ।
4:- श्रद्धालुओ को कुंड में स्नान करने पर प्रतिबंध लगाया है।
5:- खण्डपीठ ने सरकार को निर्देश दिए है कि चारोंधामो में मेडिकल की पूर्ण सुविधा हो। जैसे मेडिकल स्टाफ, नर्से, डॉक्टर , ऑक्सीजन बेड और वेंटीलेटर।
5:- यात्रा के दौरान सरकार मेडिकल हेल्प लाइन जारी करें जिससे कि अवस्थ्य लोगो को स्वाथ्य सम्बन्धित सुविधाओ के आसानी से पता चल सके।
6:- श्रद्धालुओ की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट व वेक्सीनेशन का सर्टिफिकेट के जांच हेतु चारो धामो में चेक पोस्ट बनाने को कहा है। जैसे बद्रीनाथ में पाँच केदारनाथ में तीन।
7:- भविष्य में अगर कोविड के केसों में बढ़ोतरी होती है तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है।
8:- कोर्ट ने एंटी स्पीटिंग एक्ट को चारों धामो में प्रभावी रूप से लागू करने को कहा है। 9:-तीनो जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए है कि वे यात्रा का मॉनिटरिंग करे और उसकी रिपोर्ट हर सप्ताह कोर्ट में दें।
9:- जिला अधिकारियों को यह निर्देश दिए है कि वे यात्रा को सफल बनाने हेतु स्थानीय लोगो व एनजीओ की सहायता ले सकते है लेकिन एनजीओ सही व जिम्मेदार होनी चाहिए।
10:- चारधाम यात्रा में जगह जगह पर सुलभ शौचालय बनाये जायँ जिससे कि श्रद्धालुओ को असुविधा न हो। मामले में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि अभी प्रदेश के साथ साथ देश में कोविड केशों में कमी आयी है और सभी मंदिर, स्कूल, न्यायलय, संसद सब खुल चुके है लिहाजा चारधाम यात्रा को भी कोविड के नियमो के अनुसार खोलने की अनुमति दी जाय। यात्रा नही होने के कारण इसमे लगे लोगो पर रोजी रोटी का खतरा पैदा हो गया है। अधिवक्ता शिव भट्ट ने चारधाम में श्रीधालुओ और यात्रियों की सुरक्षा संबंधी बिंदुओं को कोर्ट के सम्मुख रखा । उन्होंने कहा कि सरकार ने चारधाम यात्रा को खोलने के लिए जो एसओपी जारी की है वह पूर्ण नही है। इसमे कई तह की कमियां है । सरकार के पास मेडिकल की सुविधा नही है शौचालय नही है एयर एम्बुलेंस हेलीकॉप्टर नही है व नियमो के पालन कराने हेतु पर्याप्त पुलिया फोर्स तक नही है। लिहाजा चारधाम यात्रा को प्रतिबन्धों के साथ खोला जाय। खण्डपीठ ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वर्ष में एक बार होने वाली चारधाम यात्रा जो अक्टूबर में समाप्त हो जाती है। इसमें उस मार्ग में काम करने वाले व्यापारी स्थानीय लोग यात्रा बन्द होने से बेरोजगारी हो जाते हैं जिससे कि उन लोगो पर रोजी रोटी खतरा और अधिक बढ़ जाता है।