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मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया

By on December 9, 2023 0 181 Views

कालाढूंगी।कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है तो मुस्लिम उलेमा ने इस फ़ैसले की आलोचना की है और इसे ग़ैर-इस्लामी क़रार दिया है.ग़ौरतलब है कि भारत में इस्लाम, ईसाई और पारसी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के पर्सनल लॉ में गोद लेने का प्रावधान नहीं है.कोर्ट के ताज़ा फ़ैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना निज़ामुद्दीन का कहना है,”किसी दूसरे के बच्चे को गोद लेने से वे किसी की वास्तविक औलाद बन जाए, ये मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और क़ुदरती तौर पर सही नहीं है. इसीलिए इस्लाम में गोद लेने की मनाही है.”उनका कहना है कि इस्लाम में किसी दूसरे के बच्चे की किफ़ालत (परवरिश) की इजाज़त है, लेकिन वह औलाद की तरह क़ानूनी रूप से जायदाद का वारिस नहीं हो सकता है. निज़ामुद्दीन ज़ोर देकर कहते हैं कि इस्लाम अनाथ बच्चों की देखभाल और परवरिश को प्रोत्साहित करता है।मूलभूत अधिकार पिछले हफ़्ते दिल्ली की एक अदालत ने एक मुस्लिम दंपती को एक दो वर्षीय बच्ची को गोद लेने की इजाज़त देते हुए कहा था, “भारतीय संविधान और बाल न्याय अधिनियम 2000 के तहत प्रत्येक नागरिक का मूलभूत अधिकार है कि वे किसी भारतीय बच्चे को गोद ले सकते हैं और इस मामले में पर्सनल लॉ आड़े नहीं आ सकता.” अदालत ने दंपती को ये भी निर्देश दिया कि गोद लेने के लिए वो ऐसा क़रार बनाए जिसमें गोद लिए गए बच्चे को वो ही अधिकार मिले जो उस औलाद को मिल सकते हैं।जिसे उन्होंने जन्म दिया हो.उच्च न्यायालय के विद्वान् अधिवक्ता तालिब हुसैन सोमवार को फ़ाइल दाखिल की जिसमे सब-रजिस्ट्रार साहब ने उनको मना कर दिया की मुस्लिम मे गोद नामा नही होता है और फ़ाइल को वापस कर दि ,तभी विद्वान् अधिवक्ता तालिब हुसैन कादरी दुवारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश व जजमेंट की कॉपी दिखाई गयी जिस के बाद् सब-रजिस्ट्रार साहब ने सोमवार को पहली बार उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में मुस्लिम गोद नामा रजिस्टर्ड कर लिया गया है।बताया जा रहा है की उत्तराखण्ड मे पहली बार मुस्लिम समुदाय मे पहला गोदनामा बना है जिसमे अधिवक्ता तालिब हुसैन कादरी के ज्ञान की उपज की देन माना जा रहा है अधिव्क्ता तालिब हुसैन से बातचीत मे बताया गया की “ये बहुत अच्छा और प्रगतिशील फ़ैसला है, इससे उन लाखों माता-पिता को राहत मिलेगी जो बच्चे गोद लेना चाहते हैं, साथ ही उन लाखों बच्चों को घर मिलेगा जिन्हें छत और प्यार की आवश्यकता है।ओर उत्तराखण्ड के सभी जो मुस्लिम लोग गोदनामे को लेकर चिंता मे थे अब कोई परेशान होनी की जरूरत नहीं क्युकी अब करा सकते हे आसानी से गोदनामा । मुस्लिम लोगो के चहरे पर मुस्कान आने के बाद कुछ अनाथ बच्चों के भी भविष्य को सुनहेरा मोका मिलेगा ओर इस फैसले के बाद सभी मुस्लिम समुदाय मे खुशी का मोहाल है