
अवैध पातन और निर्माण के मामले से धूमिल हुई विश्व प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व की छवि
देश मे बाघो की राजधानी के रूप में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व मशहूर है। इसे यूं ही टाइगर कैपिटल का दर्जा नही मिला। इसके लिए स्थानीय जनता और कॉर्बेट के बेहतर प्रबंधन के साथ ही कॉर्बेट के कर्त्तव्यनिष्ठ स्टॉफ के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता। लेकिन वर्तमान में हो रही मीडिया की नेगेटिव रिपोर्टिंग से लग रहा है कि कॉर्बेट में ऐसा कुछ भी नही, जो हम देखते सुनते आ रहे हैं। कॉर्बेट मात्र भ्रष्ट्राचार का गढ़ बनकर रह गया है। मीडिया में इस तरह की खबरें देकर कॉर्बेट के प्रबंधन के साथ ही यहां के स्टाफ को हतोत्साहित करने की एक होड़ सी लगी हुई है। जिसके दूरगामी नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
कॉर्बेट में करीब डेढ़ दशक से बाघो की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। यह फेज फोर और बाघ आगणन के राष्ट्रीय आकंड़े (all india tiger census) बताते हैं। इस टाइगर रिजर्व में आने की पर्यटको में होड़ यूं ही नही लगी है। इसके बढ़ते बाघो को देखकर जा रहे पर्यटक खुद ही इसकी कहानी बता सकते हैं। इस टाइगर रिजर्व में हमेशा से काबिल अधिकारियों की नियुक्ति होती रही है। लेकिन जैसी कहावत है कि एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है। वही कहावत यहां चरितार्थ हुई है। जिसके चलते इस विभाग के कई अधिकारी इसका दंश भी झेल रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी 2019 को अपने कॉर्बेट भ्रमण के दौरान 2 घोषणाएं की थी। जिसमे एक रेस्क्यू सेंटर व दूसरा टाइगर सफारी बनाने का था। रामनगर के पास ढेला में रेस्क्यू सेंटर सारी नियमो शर्तो के तहत आराम से बना लिया गया। लेकिन कालागढ़ डिवीज़न के पांखरो में टाइगर सफारी बनाने में बवाल हो गया। इस डिवीज़न में एक ऐसे डीएफओ को नियुक्ति दी गई, जो पहले से ही राजाजी टाइगर रिजर्व में डिप्टी डायरेक्टर के तौर पर विवादित रहा था। कॉर्बेट जैसे संवेदनशील टाइगर रिजर्व में इस अधिकारी की नियुक्ति के बाद इसके कारनामो से कॉर्बेट की छवि धूमिल होनी शुरू हुई। जिसकी परिणित आज आपके सामने है। हालांकि अब तत्कालीन डीएफओ कालागढ़ किशन चंद निलंबित कर दिए गए हैं। लेकिन यह फैसला तब हुआ है जब वह प्रदेश के वन विभाग के साथ ही कॉर्बेट की छवि को काफी धूमिल कर चुके थे। सूत्र बताते हैं कि 29 अप्रैल को सेंट्रल एम्पोवर्ड कमेटी (सीईसी) की दिल्ली में हुई मीटिंग में भी पूर्व से विवादित डीएफओ किशन चंद को कॉर्बेट के कालागढ़ डिवीज़न में नियुक्ति देना गलत बताया गया। वहीं सीईसी ने प्रमुख वन संरक्षक से लेकर डीएफओ तक के टूर डायरी भी तलब की है।