
उत्तराखंड: प्रदेश स्तर पर पहुंचा जिला कलेक्ट्रेट ट्रांसफर विवाद, तबादलों को लेकर आमने सामने निर्वाचित कर्मी
देहरादून: जिला कलेक्ट्रेट में तबादलों को लेकर शुरू हुआ विवाद अब प्रदेश स्तरीय संगठन तक पहुंच गया है. इस मामले में मिनिस्ट्रियल संघ के कुछ निर्वाचित कर्मचारियों ने पीसीएस अधिकारियों तक पर आरोप लगाए थे. जिसका मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष और कुछ दूसरे पदाधिकारियों ने संघ के लेटर हेड पर ही विरोध किया था. अब उत्तराखंड कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के लेटर हेड पर प्रकरण को लेकर जिला अध्यक्ष की भूमिका पर ही सवाल खड़े करते हुए प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को शिकायत की गई है.
देहरादून जिला कलेक्ट्रेट में कर्मचारियों का संगठन दो गुटों में बंटता दिख रहा है. एक तरफ अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव दिखाई दे रहे हैं तो दूसरी तरफ जिला सचिव और कोषाध्यक्ष तबादले के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. इस मामले में एक तरफ जिला मिनिस्टर कर्मचारी संघ के कुछ कर्मी दो पीसीएस अधिकारियों पर तबादलों में दखल देने का आरोप लगा चुके हैं, तो जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ उपाध्यक्ष समेत दूसरे कुछ पदाधिकारी इन आरोपों का खंडन करते हुए इन अधिकारियों के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं.
खास बात यह है कि पहले तबादलों की शिकायत जिलाधिकारी से की गई. उसके बाद दूसरे निर्वाचित सदस्यों ने खुद को इससे अलग कर लिया. जिसके लिए जिलाधिकारी को ज्ञापन भी दिया गया. अभी यह मामला चल ही रहा था कि अब उत्तराखंड कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के लेटर हेड पर निर्वाचित कोषाध्यक्ष और जिला सचिव समेत कुछ कर्मचारियों ने प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को शिकायती पत्र लिख दिया है.
इस शिकायती पत्र में जिला मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संगठन के विस्तार को नियमानुसार न किए जाने के आरोप लगाए गए हैं. खास बात यह है कि यह पूरा प्रकरण जिलाधिकारी के संज्ञान में भी लाया जा चुका है. जिला कलेक्ट्रेट में कर्मचारियों के दो गुटों में बंटने से हड़कंप की स्थिति बनी हुई है. उधर अपर जिलाधिकारी के के मिश्रा पहले ही कह चुके हैं कि यह मामला उनसे जुड़ा नहीं है. उनके स्तर पर तबादलों का फैसला नहीं किया जाता है. इसलिए किसी अधिकारी का नाम इसमें नहीं घसीटना चाहिए, लेकिन, इसके बावजूद भी यह विवाद फिलहाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
इस पूरे प्रकरण को लेकर जिला कलेक्ट्रेट में कई तरह की चर्चाएं की जा रही हैं. सवाल यह भी किया जा रहे हैं कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि कर्मचारी दो गुटों में बंट गए? मामले में अधिकारियों के नाम क्यों लिए जा रहे हैं? इसको लेकर दबी जुबान में कुछ कर्मचारी एक पुराने मामले का जिक्र कर रहे हैं. जिसके कारण कर्मचारी और अधिकारी के बीच तल्खी बढ़ी थी.
जाहिर है कि कर्मचारियों के बीच चल रही इस तनातनी के कारण जिला कलेक्ट्रेट का माहौल भी काम के लिहाज से स्वस्थ नहीं रह सकता. ऐसे में इंतजार किया जा रहा है कि जिलाधिकारी इस पूरे प्रकरण का कब तक संज्ञान लेंगे. उनके आगे की कार्रवाई क्या होगी?