
चारधाम यात्रा और मानसून को लेकर उत्तराखंड में समीक्षा बैठक, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पर दिया जा रहा जोर
देहरादून: आगामी चारधाम यात्रा और मानसून सीजन को देखते हुए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सक्रिय हो गया है। इसी कड़ी में राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला ने शनिवार को हुई समीक्षा बैठक में निर्देश देते हुए कहा कि आगामी पांच माह चुनौतीपूर्ण हैं। इसलिए किसी भी आपात स्थिति से निबटने के लिए हर स्तर पर तैयारियां पुख्ता रखी जाएं। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि चारधाम यात्रा और मानसून अवधि में यात्रियों व स्थानीय निवासियों को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आइटीपार्क स्थित आपातकालीन परिचालन केंद्र से सभी जिलों के आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के साथ हुुई वर्चुअल बैठक में रुहेला ने चारधाम यात्रा और मानसून की तैयारियों को परखा। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान यात्रियों की छोटी से छोटी सुविधाओं का ध्यान रखा जाए, ताकि वे अच्छा संदेश लेकर घर लौटें।
उन्होंने सुरक्षा के दृष्टिगत भूस्खलन संभावित क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां साइनेज लगाने और वहां चौबीस घंटे जेसीबी व अन्य उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित करने को भी कहा। साथ ही सड़कों को गड्ढामुक्त करने की कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए, ताकि वर्षाकाल में इनमें जलभराव से दिक्कतें न हों।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने सभी जिलों से एनडीएमआइएस पोर्टल में जल्द से जल्द सभी सूचनाएं अपलोड करने को कहा, ताकि केंद्र से धनराशि मिलने में कोई दिक्कत न आए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में आपदा प्रबंधन विभाग हर स्तर पर अलर्ट मोड में है।
उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सड़क हादसों की रोकथाम के लिए यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रशासन द्वारा निर्धारित समय पर ही वाहनों का आवागमन हो। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान मार्ग अवरुद्ध होने पर किसी जगह यात्रियों को रोकना पड़ता है तो वहां उनके लिए खाने-पीने की समुचित व्यवस्था की जिम्मेदारी संबंधित स्थानीय प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी कारणवश रूट डायवर्ट करना पड़े तो इसके लिए स्पष्ट संकेतक लगाए जाएं।
उन्होंने कहा कि वर्षाकाल की चुनौतियों और जलभराव से प्रभावी तरीके से निबटने के लिए अगले माह तक सभी आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर ली जाएं। जलभराव से निबटने के लिए विभागों के पास जो भी संसाधन हैं, उनकी पहचान कर सूचीबद्ध कर लिया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर इन्हें प्राप्त किया जा सके। साथ ही थानों, तहसील व अन्य विभागों के पास उपलब्ध राहत एवं बचाव से संबंधित उपकरणों की जांच कर सत्यापन सुनिश्चित कराने को भी कहा। उन्होंने मानसून के दौरान भ्रामक सूचनाएं प्रसारित करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश भी दिए।
पूर्व सैनिकों का बनाएं डाटा बेस
आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि उत्तराखंड सैनिक बहुल प्रदेश है। आपदा का प्रभावी तरीके से सामना करने में पूर्व सैनिकों की बड़ी भूमिका हो सकती है। उनके अनुभव का लाभ उठाने को जरूरी है कि सभी जिले पूर्व सैनिकों का डाटाबेस बनाएं और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता का उपयोग करें।
उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि आपदा प्रभावितों के लिए राहत शिविरों के लिए स्थान अभी से चयनित कर लिए जाएं। आपदा राहत कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं रहेगी। बैठक में यूएसडीएमए के एसीईओ आनंद स्वरूप ने जिलों में जरूरत के हिसाब से सेटेलाइट फोन रखने और एसीईओ राजकुमार नेगी ने विभिन्न सड़कों के वर्गीकरण पर जोर दिया।