
अवैध मदरसों में पढ़ रहे बच्चों का भविष्य नहीं होगा बर्बाद, शिक्षा विभाग ने बताया प्लान, हर किसी को मिलेगी शिक्षा
देहरादून: उत्तराखंड में अवैध मदरसों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. बीते एक महीने में प्रदेशभर के अंदर करीब 136 अवैध मदरसों पर ताला लग चुका है. अभीतक सबसे ज्यादा 64 मदरसे उधम सिंह नगर जिले में सील किए गए है. हालांकि अब सबसे बड़ी समस्या वहां पढ़ने वाले बच्चों के सामने है. उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है. वैसे प्रशासन ने दावा किया है कि किसी भी बच्चे का भविष्य बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा.
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में सिर्फ 450 मदरसे ही रजिस्टर्ड है, लेकिन शासन-प्रशासन की जांच में आया कि प्रदेशभर में करीब 500 मदरसे अवैध रूप से चल रहे हैं. इसीलिए धामी सरकार ने प्रदेशभर में मदरसों की जांच के आदेश दिए, ताकि अवैध मदरसों को चिन्हित कर उन्हें बंद किया जा सके. इसी कड़ी में प्रशासन अभीतक प्रदेश भर में 136 अवैध मदरसे सील कर चुका हैं.
अवैध मदरसों पर हो रही इन कार्रवाई से सबसे बड़ी मुश्किल वहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए खड़ी हो रही है. इस सवाल का शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में दो तरह के मदरसे संचालित हो रहे हैं, पहले जो मदरसा बोर्ड से रजिस्टर्ड है और दूसरे जो मदरसा बोर्ड से रजिस्टर्ड नहीं है. ऐसे में अवैध मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के पास दो विकल्प है. एक तो वह मदरसा बोर्ड से रजिस्टर्ड मदरसे में पढ़ सकते है और दूसरा शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले सकते है, जोकि निशुल्क हैं. जल्द ही स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है.
राइट टू एजुकेशन के तहत सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार है. देहरादून में जो मदरसे सील किए गए हैं, उनमें करीब एक हजार बच्चे पढ़ रहे थे. शिक्षा विभाग सील किए गए सभी मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या की जानकारी ले रहा है. इसके साथ ही शिक्षकों और अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए गए हैं कि संबंधित विभागों से संपर्क कर ले कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए.
बंशीधर तिवारी, महानिदेशक शिक्षा
वही, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने कहा कि नियमानुसार चल रहे मदरसों में हस्तक्षेप करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. यदि कहीं पर अवैध रूप से कोई मदरसा चल रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मदरसा बोर्ड से बिना रजिस्टर्ड संचालित हो रहे मदरसों की फंडिंग कैसे हो रही है? ये भी एक महत्वपूर्ण विषय है.