प्रदेश में लंबे समय से बारिश और बर्फबारी ना होने का असर दिखने लगा है। पहाड़ों पर फरवरी के अंत में खिलने वाला फूल अभी से खिलने लगा है। आमतौर पर 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला बुरांश फरवरी के अंत और मार्च के पहले हफ्ते में खिलता है। लेकिन इस बार ये जनवरी में ही खिलने लगा है। इसकी वजह बारिश और बर्फबारी की कमी मानी जा रही है।
समय से पहले बुरांश के फूलों के खिलने से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी के रेंज ऑफिसर मदन सिंह बिष्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और तापमान बढ़ने के कारण प्रदेश के कई स्थानों पर तो बुरांश का फूल दिसंबर के अंतिम दिनों में ही दिखने लगा था। उनका कहना है कि बुरांश की पुष्पावस्था जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही है।
मदन सिंह बिष्ट के मुताबिक बुरांश के फूल के खिलने के लिए एक निश्चित ठंड की अवधि की जरूरत होती है। आमतौर पर फरवरी के अंत में अमूमन तापमान 15 डिग्री तक या इसके आस-पास होने पर बुरांश का फूल खिलना शुरू होता है। लेकिन इस बार बारिश ना होने के कारण तापमान उतना कम नहीं है जितना होना चाहिए। जिस वजह से बुरांश का फूल अभी से खिलने लगा है।
हिमालयी क्षेत्रों में 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर बुरांश का पेड़ पाया जाता है। बुरांश के फूलों की बात करें तो ये सिर्फ लाल रंग का नहीं होता है। बल्कि ये कई रंगों का होता है। लेकिन उत्तराखंड में ये दो रंगों लाल और सफेद रंगों में पाया जाता है। 4000 मीटर से 10000 मीटर तक की ऊंचाई तक लाल रंग का बुरांश पाया जाता है। जबकि 11000 मीटर की ऊंचाई से 15000 मीटर तक की ऊंचाई पर सफेद बुरांश भी पाया जाता है।
सफेद बुरांश के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये अत्यधिक बर्फबारी वाले इलाकों में पाया जाता है। बुरांश की एरिकेसिई फैमिली के 300 प्रजातियों में से एक है। इसके पेड़ की ऊंचाई लगभग 20 से 25 फीट तक होती है। इसकी लकड़ी काफी मूल्यवान होती है। इसके पेड़ों की अत्यधिक कटान होने के कारण इसे वन अधिनियम 1974 में इसे संरक्षित वृक्ष घोषित किया गया है।