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पौड़ी जिला पंचायत में बड़ा सफाई घोटाला, उपनल कर्मचारी की पत्नी के खाते में जमा हुए 75 लाख रुपये
पौड़ी गढ़वाल: देहरादून नगर निगम सफाई कर्मचारी घोटाला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि इसी तरह का घोटाला पौड़ी गढ़वाल जिले से भी सामने आ गया है. घोटाले का खुलासा आरटीआई के जरिए हुआ है. ये सामने आया है कि 15 ब्लॉक में सफाई के नाम पर 75 लाख का घपला हुआ है. अब डीएम खुद इसकी जांच कर रही हैं.
पौड़ी जिला पंचायत में सफाई घोटाला: जिला पंचायत पौड़ी एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार सफाई कार्यों के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है. जानकारी के अनुसार, जिले के विभिन्न विकासखंडों में साफ-सफाई के नाम पर 75 लाख रुपये की धनराशि एक उपनल सफाई कर्मचारी की पत्नी के खाते में जमा कर दी गई. यह मामला जनवरी 2023 का बताया जा रहा है. खुलासा हुआ है कि जिला पंचायत के सभी 15 विकासखंडों में गोपनीय तरीके से सफाई का टेंडर निकाला गया. इस पूरी प्रक्रिया के पीछे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का नाम सामने आया है, जो वर्तमान में निलंबित चल रहे हैं.
आरटीआई से हुआ खुलासा: बताया जा रहा है कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने उपनल कर्मचारी की पत्नी को नौकरी लगाने के नाम पर उसका बैंक खाता लिया. उसी खाते के माध्यम से सफाई का टेंडर स्वीकृत कर दिया गया. सफाई कर्मचारी का कहना है कि उसे टेंडर प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं दी गई. अब वह बीते मार्च से लेकर अब तक तीन से चार बार देहरादून विजिलेंस कार्यालय के चक्कर काट चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस जांच की मांग की जा रही है.
सफाई कर्मचारी की पत्नी के अकाउंट में डाले 75 लाख रुपए: इस पूरे प्रकरण में जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर फिर से सवाल उठने लगे हैं. यह भी बताया जा रहा है कि पत्रावलियों से छेड़छाड़ की वजह से पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया गया, जिससे संबंधित अधिकारी का निलंबन हुआ है. वित्तीय वर्ष 2024-25 की ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि एक उपनल सफाई कर्मचारी की पत्नी के खाते में 75 लाख रुपये की राशि सफाई कार्यों के नाम पर जमा की गई. घोटाले की परतें तब खुलीं जब स्थानीय निवासी करन रावत ने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत यह जानकारी मांगी.
जून 2025 के पहले सप्ताह में प्राप्त आरटीआई जवाब में मुझे पूरे प्रकरण की जानकारी मिली. मैंने तत्काल इस मामले की शिकायत गढ़वाल आयुक्त से की. इसके बाद आयुक्त ने मामले में जांच के लिए पौड़ी जिलाधिकारी कार्यालय को पत्रावली प्रेषित की. RTI से सामने आया कि उपनल सफाई कर्मचारी के तीन पारिवारिक सदस्यों के नाम पर जिले के 15 विकासखंडों में ठेकेदारी के टेंडर स्वीकृत किए गए.
चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों के पास ठेकेदारी का पूर्व अनुभव, जीएसटी नंबर या अन्य वैधानिक पंजीकरण भी नहीं था. इसके बावजूद लाखों रुपये का काम उन्हें सौंपा गया. प्रत्येक ब्लॉक में 2 सफाई कर्मचारी तैनात किए गए, कुल संख्या 30 रही. इन्हें प्रति कर्मचारी 15 हजार रुपये प्रति माह का भुगतान किया गया. वहीं 10 अतिरिक्त कर्मचारी, जो VIP ड्यूटी और दुर्गम क्षेत्रों में तैनात रहे, उन्हें 1,000 रुपये प्रतिदिन या 30,000 रुपये मासिक भुगतान किया गया. सफाई कार्यों के लिए यह टेंडर जनवरी से सितंबर 2023 के बीच संचालित रहा.
–करन रावत, आरटीआई कार्यकर्ता-
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने की विजिलेंस जांच की मांग: आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि इस अवधि में ठेके के नाम पर सरकारी धनराशि की जमकर बंदरबांट की गई. करन रावत ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की विजिलेंस जांच होनी चाहिए. दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए.
डीएम ने कहा जांच के बाद कार्रवाई होगी: वहीं इस पूरे प्रकरण पर जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा है कि-
गढ़वाल कमिश्नर से पत्रावली मिली है. मामले की पत्रावलियों की जांच की जा रही है. जांच रिपोर्ट के अध्ययन के बाद ही दोषियों के विरुद्ध आगे की कार्रवाई की जाएगी.
–स्वाति भदौरिया, जिलाधिकारी, पौड़ी गढ़वाल-
देहरादून नगर निगम में भी हुआ है स्वच्छता कर्मी घोटाला: देहरादून नगर निगम में भी सफाई कर्मचारियों के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला हुआ था. यहां 2019 से 2023 तक पूरे पांच साल 99 फर्जी सफाई कर्मियों के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन किया गया था. इस घोटाले का खुलासा 2024 में हुआ था. डीएम के आदेश पर सीडीओ ने जांच की तो पता चला था कि देहरादून नगर निगम के 100 में 22 वार्डों में 99 सफाई कर्मचारी जो नियुक्त ही नहीं थे, उनके नाम पर पूरे 5 साल तक वेतन और पीएफ का पैसा निकाला जा रहा था. जांच में पता चला कि पार्षदों ने अपने रिश्तेदारों, पत्नी और पार्टी पदाधिकारियों को सफाई कर्मचारी दिखाकर 5 साल तक घोटाला किया.