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कांग्रेस में ऐसा क्या दिखा है कि मोदी और BJP नेता आक्रामक हो गए हैं? कोई इंटरनल सर्वे हुआ है क्या?

By on May 1, 2024 0 181 Views

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव प्रचार में बीजेपी और कांग्रेस नेतृत्व आमने-सामने तो है ही, एक-दूसरे के खिलाफ बेहद आक्रामक अंदाज में पेश आ रहे हैं – और कांग्रेस की तुलना में बीजेपी ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रही है.

अगर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बात करें, और बीते पांच साल या दस साल में बीजेपी के खिलाफ उनके हमलों को ध्यान से देखें तो बहुत ज्यादा अंतर नहीं नजर आता है. वो तो वैसे भी पूरे बारह महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम ले लेकर गुस्से में भाषण देते रहते हैं – पूरे देश में केरोसिन छिड़क देने से लेकर नफरत के खिलाफ मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करने तक.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौके बेमौके हमेशा ही कांग्रेस की परिवारवाद की राजनीति, और गांधी परिवार को लेकर हमलावर ही देखे जाते रहे हैं. कांग्रेस के ‘पाप धोने’ से लेकर ‘नेहरू से लेकर यूपीए तक के शासन में 70 साल की नाकामियां’ भी ताबड़तोड़ गिनाते रहते हैं – लेकिन मोदी को जो तेवर हाल फिलहाल देखने को मिल रहा है, वो पहले वाले से काफी अलग है.

ये तो पहले भी देखने को मिला है कि मोदी, चुनावों के दौरान ही नहीं बल्कि ऐसे भी, कांग्रेस पर हमले का कोई भी मौका जाने नहीं देते. और अक्सर ये सब वो कांग्रेस नेतृत्व के मजाक उड़ाने वाले अंदाज में या कटाक्ष के साथ करते रहे हैं – लेकिन बीजेपी की हालिया रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण सुनें तो मामला गंभीर लगने लगा है.

और इस बात की ताजातरीन मिसाल है, बीजेपी सहित एनडीए उम्मीदवारों को प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से व्यक्तिगत तौर पर लिखी गई चिट्ठी, जिसमें वो लोकसभा क्षेत्र के स्तर पर सभी उम्मीदवारों से कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन INDIA के खिलाफ अपने वोटर को जागरूक करने की सलाहियत दे रहे हैं.

कांग्रेस को लेकर बीजेपी के किसी इंटरनल सर्वे में कोई खास बात सामने आ रही है क्या?

राहुल गांधी ने हाल ही में बीजेपी के खिलाफ अंडर करंट होने का दावा किया था, और लगे हाथ ये दावा भी कि बीजेपी की 400 नहीं, बल्कि 150 से ज्यादा सीटें नहीं आने वाली हैं. राहुल गांधी का कहना था कि पहले तो उनको लगता था कि 180 लोकसभा सीटें बीजेपी जीत सकती है, लेकिन अब ये नंबर काफी कम हो गया है.

तीसरे चरण के एनडीए उम्मीदवारों को मोदी की सलाह

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तीसरे चरण में 7 मई को वोट डाले जाने हैं – और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी सहित एनडीए के सभी उम्मीदवारों के नाम व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा है, और कांग्रेस के, बीजेपी के हिसाब से, राजनीतिक मंसूबों के प्रति मतदाताओं को जागरुक करने की सलाह दी है.

ऐसा ही पत्र केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को भी मिला है जिसे उन्होंने सोशल साइट X पर शेयर किया है. प्रधानमंत्री मोदी को आश्वस्त करते हुए मनसुख मंडाविया लिखते हैं, माननीय प्रधानमंत्री जी, इन प्रेरणादायी शब्दों के लिये मैं आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूं… पिछले 10 वर्ष आपके द्वारा किए गये कार्यों से गरीब, युवा, किसान और नारी शक्ति के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया है… आपके इन सुझावों पर हम सब कार्यकर्ता पूरी मेहनत करेंगे.

और वैसे ही अमित शाह को भेजे पत्र में मोदी ने लिखा है, तेरह साल की उम्र में आपने आपातकाल के खिलाफ खड़े लोगों को सहयोग देते हुए अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की… 80 के दशक से जनकल्याण के विभिन्न कार्यों में आपने मेरे साथ काम किया, तभी से ही मैंने आपका समाज सेवा और भारत के उत्थान के प्रति अटूट समर्पण करीब से देखा है.

मोदी ने लिखा है, गृह मंत्री रहते हुए अनुच्छेद-370 समाप्त करने से लेकर सीएए और भारतीय न्याय संहिता जैसे महत्वपूर्ण नीतियों को पारित करवाना और नए सहकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी का निष्ठापूर्वक निर्वहन करना… केंद्रीय मंत्री के रूप में आपने अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों में अहम भूमिका निभाई है.’

व्यक्तिगत संदेश के साथ ही मोदी ने एक कॉमन चीज सभी उम्मीदवारों से कही है, ‘मैं आपसे कांग्रेस पार्टी और उसके इंडी अलायंस के विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण उद्देश्यों के विरुद्ध मतदाताओं को जागरुक करने का आग्रह करता हूं. उनका इरादा एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों से आरक्षण छीनकर अपने वोटबैंक को देना है, भले ही धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है. वे लोगों की मेहनत की कमाई छीन कर अपने वोट बैंक को देने पर तुले हुए हैं. कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ‘विरासत कर’ जैसे खतरनाक विचारों का समर्थन करेंगे. इसे रोकने के लिए देश को एकजुट होना ही होगा.’

आक्रामक अंदाज और उम्मीदवारों को सलाहियत के मायने क्या हैं?

अव्वल तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी के लिए कोई चिंता ही नहीं होनी चाहिये थी. अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है, और INDIA गठबंधन नाममात्र का बचा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो पहले ही अलग हो गई थीं, गठबंधन के संस्थापक नीतीश कुमार भी एनडीए के पाले में आ गये थे – और अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली सहित कुछ ही सीटों पर कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है.

अब तो राहुल गांधी हाथ में संविधान लेकर चुनावी रैलियां करने लगे हैं. और कांग्रेस उम्मीदवारों को संविधान की प्रति हमेशा अपने साथ रखने की भी सलाह दे रहे हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने X (पहले ट्विटर) पर भी लिखा है, ‘कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों और नेताओं से मेरा निवेदन है कि वे नामांकन, सभाओं और जनसंपर्क के दौरान पवित्र संविधान को अपने साथ जरूर रखें… गांव-गांव, गली-गली ये ऐलान कर दें कि जब तक कांग्रेस है भाजपा क्या, दुनिया की कोई ताकत भारत से उसका संविधान छीन नहीं सकती.’

एक बात तो देखने को मिली है, जब भी कांग्रेस ने संविधान लेकर मोदी सरकार का विरोध किया है, बीजेपी बचाव की मुद्रा में आ जाती है. सीएए के विरोध में भी सोनिया गांधी ने दिल्ली के राजघाट पर कांग्रेस के सत्याग्रह के दौरान संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया था – और 2019 में पास हुआ सीएए अभी अभी लागू हो पाया है, जब आम चुनाव का माहौल बना है.

मोदी की लोकप्रियता चरम पर है. केंद्र सरकार के साथ साथ जहां भी बीजेपी की सरकार है, डबल इंजन के फायदे शुरू से ही जोरशोर से बताये जा रहे हैं – और देश की ताकत को घर में घुस कर मारने वाले नये भारत के रूप में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के साथ साथ सारे नेता अपनी रैलियों में पेश कर रहे हैं – फिर दिक्कत क्या आ रही है?

कांग्रेस के बीजेपी के फिर से सत्ता में आने पर संविधान बदल डालने डालने का शक जताने पर मोदी पहले ही लोगों को समझा चुके हैं कि वो खुद ही नहीं, बाबा साहेब अंबेडकर भी चाहें तो संविधान नहीं बदल सकते – मोदी का ये बयान तो कांग्रेस के दबाव में आ जाने और सफाई देने जैसा ही लगा था.

21 अप्रैल, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के बांसवाड़ा में रैली कर रहे थे और तभी कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो देश की महिलाओं का मंगलसूत्र लेकर ‘ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों’ और ‘घुसपैठियों’ में बांट देगी – और उसके बाद कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ मोदी-शाह सहित सारे बीजेपी नेता कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक हो गये हैं.

और अब उसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए उम्मीदवारों को व्यक्तिगत पत्र भी लिखा है, जिसके जरिये बूथ लेवल पर कांग्रेस को टारगेट करने की सलाह दी गई है – आखिर माजरा क्या है?

बीते दो आम चुनावों के नतीजों को ध्यान से देखें तो मालूम होता है कि देश में जहां भी क्षेत्रीय दल मजबूत स्थिति में हैं, बीजेपी के प्रदर्शन पर काफी असर पड़ता है – मतलब, 2024 में भी बीजेपी का नंबर क्षेत्रीय दलों के चुनावी प्रदर्शन पर निर्भर करता है.

 

 

पूरे देश में 243 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी को क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से सीधा मुकाबला है. देखें तो कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के लिए क्षेत्रीय दलों से मुकाबला ज्यादा मुश्किल हो सकता है.

2014 में बीजेपी को ऐसी लोकसभा सीटों में से 108 पर जीत मिली थी – और कांग्रेस को 11 सीटों पर जबकि अन्य दलों को 124 सीटों पर. 2019 में बीजेपी को यहां की 118 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली थी, और अन्य दलों के खाते में 115 सीटें आई थीं.

होना तो ये चाहिये था कि कांग्रेस के खिलाफ इतनी मेहनत के बजाय मोदी और बीजेपी क्षेत्रीय दलों पर फोकस करते. मजबूत रणनीति बनाकर क्षेत्रीय दलों की घेरेबंदी का प्रयास करते – लेकिन कांग्रेस के प्रति मोदी और जो चीजें साफ साफ नजर आ रही हैं, उनके बीच बीजेपी का मौजूदा आक्रामक अंदाज देख कर यकीन करना मुश्किल हो रहा है.

संघ और बीजेपी के इंटरनल सर्वे में कोई खास बात सामने आई है क्या? क्योंकि पहले दौर के मतदान के बाद अमित शाह का अलर्ट हो जाना, और तीसरे दौर की वोटिंग से पहले मोदी का व्यक्तिगत तौर पर चिट्ठी लिखना – संदेह तो पैदा करता ही है.