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शहीद खुदीराम बोस को उनकी 133 जयंती पर याद किया….
रामनगर। आजादी के आंदोलन में 18 बर्ष की उम्र में फाँसी का फंदा चूम लेने क्रांतिकारी खुदीराम बोस को आल इंडिया स्टूडेंट्स ,आइसा ने याद किया।पी एन जी पी जी महाविद्यालय के मुख्य गेट पर खुदीराम बोस की फोटो पर माल्यर्पण के बाद हुई सभा को सम्बोधित करते हुए आइसा नगर अध्यक्ष सुमित कुमार ने उनके जीवन पर विस्तार डालते हुए कहा
1905 ई. में बंगाल का विभाजन होने के बाद खुदीराम बोस देश के मुक्ति आंदोलन में कूद पड़े थे। सत्येन बोस के नेतृत्व में खुदीराम बोस ने अपना क्रांतिकारी जीवन शुरू किया था।खुदीराम बोस राजनीतिक गतिविधियों में स्कूल के दिनों से ही भाग लेने लगे थे। वे जलसे जलूसों में शामिल होते थे तथा अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ नारे लगाते थे। उन्होंने नौवीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और जंग-ए-आज़ादी में कूद पड।
वह रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वहां महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में चलाए गए आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।आइसा उपसचिव रोहित खत्री ने जानकारी दी कि
पुलिस ने 28 फ़रवरी, सन् 1906 ई. को सोनार बंगला नामक एक इश्तहार बाँटते हुए बोस को दबोच लिया। लेकिन बोस मज़बूत थे। पुलिस की बोस ने पिटाई की और उसके शिकंजे से भागने में सफल रहे। 16 मई, सन् 1906 ई. को एक बार फिर पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया, लेकिन उनकी आयु कम होने के कारण उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। 6 दिसम्बर, 1907 को बंगाल के नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर किए गए बम विस्फोट की घटना में भी बोस भी शामिल थे। उन्होंने अंग्रेज़ी चीज़ों के बहिष्कार आन्दोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया।खुदीराम ने, प्रफुल्ल चाकी के साथ, एक ब्रिटिश जज, मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या करने का प्रयास किया, जिस गाड़ी में उन्हें संदेह था कि वह व्यक्ति अंदर था, उस पर बम फेंका गया। हालांकि, मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड को एक अलग गाड़ी में बैठाया गया, और बम फेंकने का परिणाम दो ब्रिटिश महिलाओं की मौत गिरफ्तारी से पहले प्रफुल्ल ने खुद को गोली मार ली। खुदीराम को गिरफ्तार किया गया और उन दोनों महिलाओं की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया, अंत में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।18 अगस्त 1908 को उनको फांसी दे दी गयी। फांसी के समय खुदीराम की उम्र 18 साल, 8 महीने थीं।
कार्यक्रम के दौरान शहीदों की क्रांतिकारी परम्परा जिंदाबाद,साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, खुदीराम बॉस अमर रहें। आदि नारेबाजी भी की गई। इस दौरान, आइसा नगर अध्यक्ष सुमित कुमार, उपाध्यक्ष ज्योति फर्त्याल, सचिव अर्जुन सिंह नेगी, उपसचिव रोहित खत्री, मोहममद रिहान सिद्दीकी, करन अधिकारी, विनीता, , उमेश कुमार,दीपक कुमार, जातिन राजपूत, पीयूष कुमार, अक्षित कुमार, आदि छात्र- छात्राएं मौजूद रहे।