लगातार घट रहा उत्तराखंड कांग्रेस का कुनबा
उत्तराखंड कांग्रेस में पार्टी छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते रोज गंगोत्री विधानसभा के पूर्व विधायक विजयपाल सजवान, और पुरोला से पूर्व में विधायक रहे मालाचंद ने भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस पार्टी को करारा झटका दिया है। दोनो पूर्व विधायक ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी दायित्व से मुक्त होकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
वहीं इसको लेकर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने कहां किसी नेता के जाने पार्टी पर कोई फर्क नही पड़ता है अगर बूथ लेवल का कार्यकर्ता पार्टी छोड़ता है तो परेशानी वाली है। मगर नेता कोई भी है उनको सत्ता की भूख रहती है जिसके कारण नेता कभी यहां तो कभी वहां पार्टी बदलते रहते है। मगर इस वक्त कांग्रेस पार्टी के लिए संकट काल रूप में हम देख रहे है, और संकट काल में पार्टी को मजबूत किया जाना चाहिए। पार्टी ने जिन नेताओं पर इतना इन्वेस्ट किया है उन लोगो का ऐसे छोड़कर जाना दुर्भाग्य पूर्ण है। जहां तक बात मालचंद की करें तो भाजपा उनका मूल गर्भ है और जहां से मालचंद आए थे वहीं चले गए है।
ED और CBI का डर दिखाकर विपक्षी दलों को डराया जा रहा
उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाली आज एक ओर नाम शामिल हो गया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्र वधु अनुकृर्ति गुसाईं ने भी आज उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अपने सोशल मीडिया पर इस्तीफे की फोटो जारी करते हुए अनुकीर्ती ने यह जानकारी दी। 2022 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने अनुकृति गुसाईं को पौड़ी गढ़वाल विधान सभा टिकट भी दिया था। जिसमे उनको हार का सामना भी करना पड़ा।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहां कांग्रेस पार्टी ने अनुकृति गुसाईं मान सम्मान दिया और उन्हें अगर कोई बात कहनी थी तो पार्टी प्लेटफॉम पर रखनी चाहिए थी और आज के वक्त सभी कार्यकर्ता हो क्या नेता अपनी बात को पार्टी प्लेटफार्म पर रखते है। आज के वक्त में भाजपा द्वारा ईडी और एसबीआई का डर भाजपा द्वारा विपक्षी दलों को डराने का काम किया जा रहा है जिसके चलते लोग पार्टी छोड़ रहे है।
लोकसभा चुनावों में कैसे लगेगी कांग्रेस की नैय्या पार ?
लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से कांग्रेस के नेता पार्टी का दामन छोड़ रहे है उससे कहीं ना कहीं कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है। अब देखना ये होगा कि लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को इसका कितना खामियाजा उठाना पड़ता है। लगातार नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण कांग्रेस को कितना नुकसान झेलना पड़ता है।
बात अगर कांग्रेस के नुकसान की करें तो इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तरकाशी जनपद के दो पूर्व विधायकों के द्वारा भाजपा का दामन थामने के बाद उत्तरकाशी जनपद में कांग्रेस का कोई पूर्व विधायक तक अब नाम लेने वाला नहीं रह गया है।
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का कहना है कि कांग्रेस में जो भी पूर्व विधायक उत्तरकाशी जनपद से थे वह भाजपा में शामिल हो गए हैं। उत्तरकाशी जिला एक तरीके से कांग्रेस मुक्त हो गया है। वहीं कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व विधायक विजयपाल साजवान का कहना है कि पूर्व विधायक ही नहीं पूरी कांग्रेस एक तरीके से उत्तरकाशी में भाजपा में शामिल हो गई है। इसके बाद तो सवाल यहीं उठ रहा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कैसे खुद को मजबूती से पेश करेगी और कैसे कांग्रेस की नैय्या पार लगेगी।
लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से कांग्रेस के नेता पार्टी का दामन छोड़ रहे है उससे कहीं ना कहीं कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है। अब देखना होगा लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को इसका कितना खामियाजा उठाना पड़ता है।