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उत्तराखंड मे भाजपा के एक और कांग्रेस के दो प्रत्याशियों सहित 477 प्रत्याशियों की जमानत जब्त…
देहरादून: उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव में इस बार 75 प्रतिशत प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल नहीं हुए। हैरत यह कि चुनाव लडऩे वाला ऐसा कोई दल नहीं है, जिसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त न हुई हो। वर्ष 2017 कि चुनाव में 74 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। यानी, इस बार जमानत गंवाने वाले प्रत्याशियों का आंकड़ा एक प्रतिशत अधिक है। प्रदेश में पांचवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में सभी 70 सीटों पर 632 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने 70-70 प्रत्याशी, बसपा ने 60, सपा ने 56 और उक्रांद ने 46 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इसके अलावा 260 प्रत्याशी अन्य गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के और निर्दलीय थे।
प्रदेश की पांचवी विधानसभा के चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए। कांग्रेस दो सीट तो भाजपा को एक सीट पर जमानत गंवानी पड़ी। वहीं, भाजपा व कांग्रेस के साथ सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी केवल दो सीटों पर ही जमानत बचा सकी। विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा 47 सीट जीत कर फिर से सत्ता में आई है। शेष 23 सीटों पर भाजपा मुख्य मुकाबले में रही। केवल हरिद्वार की तीन सीटें ऐसी रहीं, जहां भाजपा तीसरे स्थान पर रही। इनमें से भगवानपुर में भाजपा प्रत्याशी मास्टर सत्यपाल की जमानत जब्त हो गई। उन्हें केवल 12.22 प्रतिशत वोट मिले। इससे पहले भी वर्ष 2012 में इसी सीट पर भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई थी। ऐसा नहीं है कि इस सीट पर भाजपा कभी जीती ही नहीं। वर्ष 2002 में भाजपा ने यह सीट जीती थी। वर्ष 2007 में भाजपा दूसरे नंबर पर रही। वर्ष 2017 में भी भाजपा इस सीट पर दूसरे नंबर पर थी।
कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में 19 सीटें जीती हैं। अधिकांश सीटों पर वह मुख्य मुकाबले में रही। हालांकि हरिद्वार की लक्सर सीट से उनके प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस प्रत्याशी को केवल 14.2 प्रतिशत वोट मिले। इस सीट पर कांग्रेस की वर्ष 2002 और फिर वर्ष 2012 में भी जमानत जब्त हो चुकी है। 2007 में उसने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
इसके अलावा टिहरी सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी इस बार अपनी जमानत नहीं बचा पाए। उन्हें कुल 13.64 प्रतिशत वोट मिले हैं। यह स्थिति तब है कि जब कांग्रेस के यही प्रत्याशी जब वर्ष 2017 में भाजपा में थे, तब उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले वर्ष 2002 और 2007 में कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है। हालांकि बीते चुनाव यानी 2017 में भी कांग्रेस इस सीट पर जमानत जब्त करा चुकी है।
जमानत बचाने को चाहिए 1/6 वोट
जमानत बचाने के लिए किसी भी प्रत्याशी को उस विधानसभा में पड़े कुल वोट का 1/6 वोट मिलना चाहिए। इसे इस हिसाब से भी देखा जा सकता है कि यदि किसी विधानसभा में एक लाख वोटर हैं तो जमानत बचाने के लिए 16666 वोट चाहिए।