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पीएम का अखिलेश पर तंज़, बोले – “इनका जो चुनाव चिन्ह साइकिल है उस पर अहमदाबाद में बम रखे गए थे” अखिलेश ने दिया जवाब, पढ़िये साइकिल का इतिहास…

By on February 22, 2022 0 210 Views

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने हरदोई में रैली करते हुए सपा पर निशाना साधा था मोदी ने कहा- इनका जो चुनाव चिन्ह साइकिल है उस पर अहमदाबाद में बम रखे गए थे, तब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। उन्होंने कहा कि मैं हैरान हूं कि ये आतंकी धमाकों में साइकिल का इस्तेमाल क्यों करते थे। उन्होंने कहा कि मैं उस दिन को कभी भूल नहीं सकता। उसी दिन मैंने संकल्प लिया था कि मेरी सरकार इन आतंकवादियों को पाताल से भी खोजकर सजा देगी।  उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे ही आतंकवादियों के प्रति मेहरबान रहे हैं। ये राजनीतिक दल वोट बैंक के स्वार्थ में आतंकवाद को लेकर नरमी बरतते रहे हैं। ये देश की सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक बात है, इसलिए हर देशवासियों को इसके बारे में जानना चाहिए। वहीं इस पर अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है।

 

तंज पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पलटवार किया यह कहते हुए साइकिल आम जन का विमान और ग्रामीण भारत का अभिमान है। साइकिल का अपमान पूरे देश का अपमान है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा, ‘खेत और किसान को जोड़ कर उसकी समृद्धि की नींव रखती है, हमारी साइकल, सामाजिक बंधनों को तोड़ बिटिया को स्कूल छोड़ती है, हमारी साइकल महंगाई का उसपर असर नहीं, वो सरपट दौड़ती है, हमारी साइकल, साइकल आम जनों का विमान है, ग्रामीण भारत का अभिमान है, साइकल का अपमान पूरे देश का अपमान है।’

इसी बीच हम बता रहे हैं आपको ‘साइकिल’ के समाजवादी पार्टी का चुनाव चिह्न बनने की कहानी, जहां आप जानेंगे कि क्यों मुलायम सिंह यादव ने तमाम उपलब्ध चिह्नों के बीच से ‘साइकिल’ को ही अपनी पार्टी की पहचान के तौर पर चुना था।

समाजवादी पार्टी का चुनाव चिह्न  

सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को सपा की स्थापना की, और 1993 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को इसके प्रतीक के रूप में साइकिल आवंटित की गई। सपा ने 256 सीटों पर चुनाव लड़ा और 109 पर जीत हासिल की। मुलायम दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।

मुलायम इससे पहले 1989 से 1991 तक मुख्यमंत्री रहे थे, लेकिन तब वे जनता दल का हिस्सा थे, जिसका चुनाव चिन्ह ‘पहिया’ था। मुलायम इससे पहले अन्य पार्टियों के चुनाव चिह्न पर भी चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता, जिसका चुनाव चिह्न बरगद का पेड़ था।

मुलायम 1996 तक सात बार विधायक चुने गए। 1992 में सपा की स्थापना से पहले, मुलायम ने ‘बैलों की जोड़ी’ और ‘कांधे पर हल धरे किसान’ जैसे प्रतीकों पर भी चुनाव लड़ा। इनमें से ‘हलधर किसान’ जनता पार्टी का प्रतीक था, और मुलायम को 1991 में जसवंत नगर से इसके उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।

साइकिल का प्रतीक

इस बारे में समाजवादी पार्टी के यूपी अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल बताते हैं कि, “जब 1993 के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव चिह्न चुनने की बात आई, तो नेताजी (मुलायम) और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने साइकिल (उपलब्ध विकल्पों में से) को चुना। ऐसा इसलिए था, क्योंकि उस दौर में, साइकिल किसानों, गरीबों, मजदूरों और मध्यम वर्ग का वाहन था, और साइकिल चलाना सस्ता और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा था।’

अपनी पार्टी के निर्माण और विस्तार के दौरान, मुलायम और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अक्सर साइकिल की सवारी करते थे। मुलायम मुख्यमंत्री बनने के बाद भी प्रचार के दौरान साइकिल चलाते रहे। अखिलेश के साथ मतभेदों के बाद शिवपाल ने एक अलग पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीएसपी-लोहिया) का गठन किया, लेकिन इस बार वे जसवंत नगर से सपा के साइकिल चिह्न पर ही चुनाव लड़ रहे हैं।

सपा के चुनाव चिह्न पर पीएम के बयान पर पटेल ने कहा, ‘पीएम इस तरह की टिप्पणियों से जुमलेबाजी करते हैं। उनकी सरकार को महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की कोई चिंता नहीं है। पीएम अमीर उद्योगपतियों के लिए काम करते हैं, जबकि एसपी की साइकिल गरीबों और किसानों से जुड़ी है।

सपा के संस्थापक सदस्य और उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सचान ने कहा कि तीन बार विधायक बनने के बाद भी मुलायम ने 1977 तक साइकिल की सवारी की। सचान ने कहा, ‘बाद में पार्टी के किसी अन्य नेता ने पैसा इकट्ठा किया और उनके लिए एक कार खरीदी।’

उन्होंने कहा कि साइकिल का चिन्ह गरीबों, दलितों, किसानों और मजदूर वर्गों के लिए पार्टी के समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सचान ने कहा, “जिस तरह से समाज और समाजवादी चलते रहते हैं, उसके दो पहिये खड़े होते हैं, जबकि इसका हैंडल संतुलन के लिए होता है।”

गौरतलब है कि पिछली अखिलेश यादव सरकार के दौरान, राज्य भर के शहरों में साइकिल ट्रैक बनाए गए थे, और छात्राओं और मजदूरों को साइकिल वितरित की गई थी। 2012 के चुनावों से पहले, जिसमें सपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था, अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को जुटाने के लिए राज्य भर में साइकिल यात्रा निकाली थी। अब भी साइकिल चलाते हुए इंटरव्यू देते हैं, भले ही 2017 और 2022 दोनों में उनके अभियान भारी रथों पर चलाए गए हों।