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भाजपा मे हो रही नये सीएम की तैयारी, गुटबाजी की मारी कांग्रेस मे, हार का मंथन जारी ! कांग्रेस को पड़ गई ये हार भारी…
देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में सबसे बड़ा मिथक यह था कि किसी भी दल को लगातार दूसरी बार जीत नहीं मिली है। इस मिथक को तोड़ने में भाजपा कामयाब रही है। इसके अलावा चुनाव से जुड़े कई मिथक टूटे हैं तो कई बरकरार हैं। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 70 सीटों में से भाजपा को 47, कांग्रेस को 19, बसपा को दो और निर्दलीय को दो सीटें मिली हैं। उत्तराखंड की सियासत में दो दशक बाद सत्ता परिवर्तन से जुड़ा मिथक टूट गया है। चुनाव में भाजपा ने लगातार दूसरी बार बहुमत हासिल किया है।
एक तरफ जहां भाजपा प्रदेश मे जीतने के बाद मुखिया की तलाश कर रही है वहीं कांग्रेस मे हार पर मंथन जारी है। अभी और कई मिथक हैं जो उत्तराखंड की राजनीति मे इस बार टूट सकते हैं जैसे उत्तराखंड मे अब तक कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं बनी । भाजपा प्रदेश कार्यालय में महिला कार्यकर्ताओं ने कोटद्वार विधायक ऋतु खंडूरी के नाम पर जमकर नारे लगाकर उन्हें प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी कर डाली। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रदेश की कमान इस बार भाजपा किसी महिला विधायक के हाथों में सौंपती है या नहीं? युवा चेहरा के साथ ही अनुभवी चेहरे को उत्तराखंड का अगला सीएम बनाने को लेकर पार्टी हाईकमान में मंथन का दौर शुरू हो गया है। लेकिन ऋतु खंडूरी का कहना है कि वह पार्टी की सिर्फ कार्यकर्ता हैं और हाईकमान के सभी फैसलों का सम्मान करती हैं। मुख्यमंत्री की दौड़ में वह शामिल हैं या नहीं? इसपर खंडूरी ने साफतौर पर कहा कि इसका फैसला सिर्फ हाईकमान ही करता है। लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा ने उत्तराखंड मे हमेशा चौंकाया है जिसका जीता जागता उदाहरण तीरथ सिंह रावत, पुष्कर सिंह धामी हैं। ऋतु खंडूरी ने कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को कोटद्वार विधानभा सीट से विधानसभा चुनाव 2022 में करारी मात दी। विधानसभा चुनाव में ऋतु खंडूड़ी को भाजपा ने अंतिम क्षणों में यमकेश्वर से हटाकर कोटद्वार सीट से प्रत्याशी बनाया था। खंडूरी को 32103 वोट मिले हैं। जबकि पूर्व कैबिनेट मंत्री नेगी को 28416 मतों से संतुष्ट रहना पड़ा।
एक तरफ जहां भाजपा सीएम के लिए जद्दोजहद मे जुटी है वहीं कांग्रेस हार के कारण जानने मे लगी है एक तरह हरीश रावत पूरी ज़िम्मेदारी ले रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हार स्वीकार कर रहे हैं। गुटों मे बंटी कांग्रेस मे आगे की जंग भी थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश मे करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस ये कह रही है जनता को हम ठीक से शायद समझा नहीं पाये। लेकिन कांग्रेस पार्टी हर्णे के बाद भी गुटबाजी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कांग्रेस की हार का कारण लोग पार्टी के अंदर गुटबाजी बता रहे हैं। और ये गुटबाजी अभी खत्म नही होगी । अब कांग्रेस मे ये मांग उठ रही है की प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष मे से एक पद कुमाऊँ और एक पद गढ़वाल के नेता को मिलना चाहिए । जबकि इस बार दोनों ही पद गढ़वाल से थे। वहीं अभी रार प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर भी बढ़ सकती है। पहले ही पार्टी प्रीतम गुट और हरीश गुट के लिए फेमस है अब देखने वाली बात ये होगी की कांग्रेस मे प्रदेश स्तर के नेता गुटबाजी खत्म करके एक मंच पर साथ आते हैं या फिर गुटबाजी मे उलझकर रह जाएंगे और कांग्रेस की स्थिति प्रदेश मे और खराब होगी ?