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पढिए सख्त भू-कानून की सिफारिशें, और जानिए कैसे मिलेगी अब उद्योगों के लिए ज़मीन?
देहरादून. उत्तराखंड से बाहर का कोई व्यक्ति पहाड़ों के इस राज्य में 250 वर्गमीटर से ज़्यादा ज़मीन नहीं खरीद सकता, यह नियम पहले भी था, लेकिन हकीकत कुछ अलग थी. कुछ शातिर परिवार के कई सदस्यों के नाम से इस सीमा की ज़मीन खरीद लेते थे और फिर हज़ारों वर्गमीटर की ज़मीन को एक साथ जोड़कर उसका कमर्शियल उपयोग तक करते थे. लेकिन अब इस तरह की प्रैक्टिस पर लगाम लगाई जा सकेगी. उत्तराखंड में राज्य के बाहर के लोगों के लिए ज़मीनों की खरीद फरोख्त के नियम कायदे क्या, कैसे हों? इसे लेकर बनाई गई हाई पावर कमिटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपते हुए 23 प्रमुख सुझाव दिए हैं.
उत्तराखंड में भू कानून के परीक्षण के लिए बनी कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कुछ बिंदुओं पर हिमाचल प्रदेश की तरह काम करने पर जोर दिया है. साथ ही जमीन की खरीद के मामलों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को दी गई कई ताकतों को वापस लेने की सिफारिश की है. सोमवार को समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और उन्हें 80 पेज की यह रिपोर्ट सौंपी. कमिटी ने ज़मीन से जुड़े मामलों की निगरानी के लिए टास्क फोर्स बनाने की ज़रूरत पर बल दिया है. एक नज़र में देखिए कि कमिटी की बड़ी सिफारिशें क्या हैं.
ज़िला मजिस्ट्रेटों के पर कतरने की सिफारिशें
– रिपोर्ट में जिक्र है कि कृषि और दूसरे इंडस्ट्रियल प्रयोग के लिए जिलों में डीएम कृषि भूमि खरीदने की अनुमति देते हैं, लेकिन ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें जमीन दी तो खेती के लिए गई लेकिन बन गए रिजॉर्ट और बंगले!
– कमिटी ने डीएम से ये अधिकार भी वापस लेने की संस्तुति की है, जिसके तहत वो माइक्रो, स्मॉल और मीडियम कैटेगरी के उद्योगों के लिए ज़मीन खरीदने की अनुमति दे सकते हैं.
– कमिटी का कहना है कि इस तरह की इंडस्ट्रीज़ को उनकी न्यूनतम ज़रूरत के मुताबिक ही सरकार की हरी झंडी के बाद ज़मीन खरीदने की परमिशन देनी चाहिए.
– सिफारिश है कि इंडस्ट्रियल एरिया-सिडकुल के खाली पड़े प्लॉट्स में ही उद्योगों को ज़मीन दी जाए.
– स्टार होटलों, मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों जैसे प्रोजेक्ट्स को हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर एसेंशियल सर्टिफिकेट मिलने पर ही सरकार उन्हें ज़मीन खरीदने की अनुमति दे.
– अभी व्यवस्था ये है कि टूरिज्म, कृषि, इंडस्ट्रीज जैसी कई कैटेगरी में फर्म्स 12.5 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की परमिशन दी जा सकती है. कमिटी ने सिफारिश की है कि एसेंशियल सर्टिफिकेट को आधार बनाया जाए यानी इंडस्ट्री की वास्तविक ज़रूरत के हिसाब से ही कम से कम ज़मीन दी जाए.
पूरी प्रोसेस को पारदर्शी बनाने के सुझाव
– जमीनों की खरीद-फरोख्त पारदर्शी और सारे रिकॉर्ड पब्लिक डोमेन में ऑनलाइन उपलब्ध हों.
– जितनी भी खाली पड़ी सरकारी ज़मीन है, उन पर सरकारी बोर्ड लगाए जाएं.
– भूमि बंदोबस्त को शुरू करने की भी बात कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में की.
– राज्य से बाहर के लोगों को अभी 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने की अनुमति है. इस व्यवस्था में कमिटी ने सुझाव दिया है कि जमीन लेने वाले व्यक्ति और उसके परिवार के आधार कार्ड को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड्स के साथ लिंक किया जाए.
सीएम धामी ने कहा, अमल करेंगे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उनकी सरकार भू कानून में दी गई सिफारिशों पर अमल करेगी. गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में कुर्सी संभालने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने भू कानून पर एक हाई पावर कमिटी बनाने की बात कही थी. कड़े भू कानून की ज़रूरत पर बहस इसलिए भी छिड़ी क्योंकि तब भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने चिट्ठी लिखकर कहा था कि पहाड़ में सिस्टेमेटिक लैंड जिहाद चल रहा है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रहते हुए भुवन चंद्र खंडूरी सबसे पहले राज्य में भू कानून लाए थे, जिसके तहत जमीनों की बेतरतीब खरीद फरोख्त पर रोक लगाने के लिए कई प्रावधान किए गए थे. इन्हीं में एक प्रावधान था कि राज्य से बाहर का कोई भी व्यक्ति उत्तराखंड में अपने उपयोग के लिए सिर्फ ढाई सौ वर्ग मीटर जमीन ही खरीद सकता है.