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किच्छा नगर पालिका का चुनाव न कराने के मामले पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा ये सवाल
नैनीताल: आरक्षण तय होने के बाद भी सरकार की ओर से किच्छा नगर पालिका का चुनाव न कराने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से दो दिन की भीतर ये बताने को कहा है कि जब आरक्षण तय हो गया है तो चुनाव क्यों नहीं हुए?
प्रशासक के जिम्मे किच्छा नगर पालिका
आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि पिछले डेढ़ साल से किच्छा नगर पालिका के काम प्रशासक के जिम्मे है. प्रशासक की ओर से समस्त कार्य किए जा रहे हैं. सभी नगर पालिकाओं का चुनाव हो चुका है, लेकिन किच्छा नगर पालिका का चुनाव अभी तक नहीं हुए.
दरअसल, किच्छा निवासी नईमुल हुसैन ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि सरकार ने बीती 14 दिसंबर 2024 को प्रदेश के 43 नगर पालिका अध्यक्ष पदों के लिए प्रस्तावित आरक्षण की अधिसूचना जारी कर उसमें आम जनता से आपत्तियां मांगी थी, लेकिन इस अधिसूचना में किच्छा नगर पालिका अध्यक्ष के आरक्षण का उल्लेख नहीं था. जिससे ये आशंका हो गई थी कि सरकार वहां नगर पालिका चुनाव टालना चाहती है.
इसके अलावा आरक्षण आवंटन नियमावली के अनुसार पालिका अध्यक्ष के जितने भी पद होंगे, उसी के अनुसार रोस्टर के आधार पर आरक्षण निर्धारित होगा, लेकिन सरकार ने 43 पालिका अध्यक्ष पदों के आधार पर ही रोस्टर तय किया.
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, सरकार ने पूर्व में किच्छा नगर पालिका के कुछ वार्ड को गांवों में मिला दिए थे. जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. जिसके बाद सरकार ने इन क्षेत्रों को दोबारा नगर पालिका में मिला दिया, लेकिन अब वहां नगर पालिका के चुनाव टालने की कोशिश की जा रही है.
पूर्व में कोर्ट ने सरकार से कहा था कि किच्छा नगर पालिका का आरक्षण तय करें. अब आरक्षण भी तय हो चुका है, लेकिन चुनाव नहीं कराया गया. इसलिए जल्द ही किच्छा नगर पालिका का चुनाव कराया जाए. जिस पर अब कोर्ट सरकार से पूछा है कि आरक्षण तय करने के बाद चुनाव क्यों नहीं कराए?