
75 वें शहादत दिवस पर याद किये गए नागेंद्र सकलानी….
राममगर। टिहरी रियासत का आजाद भारत में विलय के आंदोलन में शहीद हुए नागेंद्र सकलानी को आज उनकी 75 वें शहादत दिवस पर याद किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत नागेंद्र सकलानी के चित्र पर माल्यार्पण से हुई।रचनात्मक शिक्षक मण्डल की पहल पर शिवलालपुर पांडे स्थित शहीद भगतसिंह पुस्तकालय में हुए इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए शिक्षक मण्डल संयोजक नवेन्दु मठपाल ने नागेंद्र सकलानी के जीवन व संघर्ष।पर प्रकाश डाला।उन्होंन कहा नागेन्द्र सकलानी का जन्म वर्ष 16 नवम्बर, 1920 को रियासत टिहरी के अंतर्गत सकलाना जागीर के पुजार गाँव में हुआ था. नागेन्द्र सकलानी ने देहरादून से कक्षा 10 की शिक्षा उत्तीर्ण की थी. विद्यार्थी जीवन के दौरान वे देश में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जागरूक हुए. इसी दौरान नागेन्द्र सकलानी वामपंथी विचारधारा के संपर्क में आये।कामरेड नागेन्द्र सकलानी ने टिहरी रियासत के भीतर चल रहे प्रजा मंडल आन्दोलन में हस्तक्षेप करते हुए उसे मुक्ति के संघर्ष से जोड़ा.
10 जनवरी 1948 को नागेन्द्र सकलानी ने प्रजामंडल के युवा नेता त्रेपन सिंह नेगी, खिमानन्द गोदियाल, किसान नेता दादा दौलत राम, कांग्रेसी कार्यकर्त्ता त्रिलोकीनाथ पुरवार, कम्युनिस्ट कार्यकर्त्ता देवी दत्त तिवारी के सामूहिक नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों के साथ कीर्तिनगर के न्यायलय तथा अन्य सरकारी भवनों को घेर कर रियासत की फौज तथा प्रशासन से आत्मसमर्पण करवा दिया. कीर्तिनगर को आजाद घोषित करते हुए कीर्तिनगर आजाद पंचायत की घोषणा कर दी गयी. 11 जनवरी 1948 को जब आन्दोलनकारी राजधानी टिहरी कूच की तयारी कर रहे थे तब रियासत की नरेन्द्र नगर से भेजी गयी फौज ने कीर्तिनगर पर पुन: कब्ज़ा करने का प्रयास किया. कीर्तिनगर आजाद पंचायत की रक्षा के संघर्ष में कामरेड नागेन्द्र सकलानी और मोलूराम भरदारी, शाही फौज के एक अधिकारी कर्नल डोभाल की गोलियों का शिकार बन गए. 12 जनवरी 1948 की सुबह पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली कोटद्वार से कीर्तिनगर पहुँच गए. उनके सुझाव पर शहीद नागेन्द्र सकलानी और मोलू भरदारी की अर्थियों को आन्दोलनकारी उठा कर टिहरी की दिशा में चल पड़े.
14 जनवरी को रियासत की राजधानी टिहरी पहुंची. जहाँ उनका दाह संस्कार भिलंगना और भागीरथी के संगम पर हुआ. जनता के आक्रोश से भयभीत शाही फौज ने उसी दिन आत्मसमर्पण कर दिया और आजाद पंचायत सरकार की स्थापना हो गयी. 1 अगस्त 1949 को रियासत टिहरी का भारत संघ में वैधानिक विलय हो गया.
इस मौके पर पुस्तकालय के बच्चों ने आजादी के अनेक गीत प्रस्तुत किये।नागेंद्र सकलानी का चित्र भी बनाया गया।इस मौके पर ग्राम प्रधान
सुनीता रानी कनोजिया,संजय कनोजिया, वैष्णवी सिंह, पुस्तकालय संचालिका अक्षरा सिंह,प्रतीक्षा शर्मा,रचना पाल,मोनिका,शिवानी,खुशबू,मोहन सिंह मेहता,बलविंदर सिंह,हेम नैनवाल, आनन्द सिंह बोहरा मौजूद रहे।