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पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव नजदीक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मे बढ़ रहीं दूरियाँ…
देहरादून / लखनऊ : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस संगठन पर सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ सियासी मैदान छोड़कर विश्राम करने तक का संकेत दिया है. हरीश रावत ने कहा कि नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस कशमकश की स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे. इस दौरान उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया मगर ये साफ है कि वे कांग्रेस संगठन को लेकर खुश नहीं हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं आखिर क्या वजह है कि एक-एक कर कांग्रेस के बड़े नेताओं में नाराजगी पनपती जा रही है.
नेताओं की लंबी फेरहिस्त है, जो बीते दो सालों से कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव की मांग कर रहे हैं. इसके लिए बकायदा उन्होंने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भी लिखा. बीते दो तीन वर्षों में कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. इनमें सबसे बड़ा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद का आता है, दोनों ने भाजपा का दामन थाम लिया है. इसके बाद पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का है. जिन्होंने कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पार्टी से किनारा कर लिया. अब वह अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. हाल ही में कीर्ति आजाद ने कांग्रेस का साथ छोड़कर टीएमसी को ज्वाइन कर लिया है.
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव
साल 2022 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में पार्टी साथ छोड़ रहे नेताओं को लेकर चिंतित है. अगले साल पंजाब, यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव हैं. पंजाब और उत्तरखंड में कांग्रेस अंतरकलह जूझ रही है. पार्टी के बड़े नेता असंतुष्ट दिखाई दे रहे हैं. खासकर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाए जाने से पार्टी को कई विवादों का सामना करना पड़ा. कैप्टन अमरिंदर जैसे कद्दावर नेता को हटाकर पार्टी ने चन्नी को सीएम बनाने का निर्णय लिया. जिसके बाद अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया. इस तरह से देखा जाए तो पंजाब में जहां कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति थी. वहां पर बदलाव कर पार्टी को काफी नुकसान हुआ है. वहीं यूपी में भी कांग्रेस को कद्दावर नेताओं की कमी खल रही है. यहां पर कांग्रेस प्रियंका और राहुल गांधी के दम पर मैदान में खड़ी है. यहां पर उनके पास कोई स्थानीय चेहरा नहीं है. इसी तरह उत्तराखंड में भी राजनीतिक हालात बिगड़ रहे हैं.
जी-23 में वरिष्ठ नेताओं में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल लगातार पार्टी की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. उनका कहना है कि पार्टी में फेरबदल होने चाहिए. इसके साथ कांग्रेस को एक सक्रिया अध्यक्ष की भी आवश्यकता है. सिब्बल भी पार्टी के अंदर चल रही नाराजगी को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए तथा संगठनात्मक चुनाव कराए जाने चाहिए.
नाराजगी के क्या है कारण
विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस में नाराजगी की बड़ी वजह नेतृत्वहीनता है. राज्यों में बड़ा चेहरा न होने के कारण पार्टी को संगठित करना मुश्किल हो रहा है. बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं के एकजुट न होने की वजह से पार्टी को कई चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. दूसरी बड़ी वजह है कि पार्टी आलाकमान अंदरूनी कलह को दूर करने में तेजी नहीं दिखा रहा है. पार्टी के अंदर असंतुष्ट नेताओं की लंबी सूची है, मगर अभी तक उनकी मांगों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है.ऐसे में कांग्रेस के लिए आगे की राह कठिन दिखाई देती है.