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कांग्रेस और बीजेपी के साथ अन्य भी कर रहे हैं जीत का दावा।
रामनगर। कल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। जिसके लिए बीते हुए कल में चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है। चुनाव प्रचार का शोर थमते ही अब सोशल मीडिया में लोग अपने अपने प्रत्याशी के जीतने के दावे कर रहे हैं। ऐसा नही है कि यह सब आज से ही हो रहा हो। सोशल मीडिया के इस प्लेटफॉर्म में यह यह जंग बहुत दिनों से चल रही है। बल्कि यह कहना ज्यादा मुनासिब होगा कि यहां नॉमिनेशन के बाद से ही इस तरह की पोस्ट नजर आने लगी थी।
बात रामनगर की करें तो यहां भाजपा और कांग्रेस इस जंग को इन्ही दलों में समेट कर अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। यहां एक मिथक यह भी चला आ रहा है कि जिस दल का प्रत्याशी यहां से जीता, सरकार उसकी ही बनी है। जबकि अन्य दल और निर्दलीय भी इस मुकाबले में खुद को दूर नही रखना चाहते। वह भी खुद को मुकाबले में बराबर का दिखा कर अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। अब ऐसे 10 मार्च को जीत का सेहरा तो एक ही के बंधना तय है। लेकिन दावे पुरजोर किये जा रहे हैं। हर कोई खुद को इस मुकाबले का मुख्य दावेदार बता रहा है।
राज्य बनने के बाद से रामनगर सीट का इतिहास यदि देखा जाए तो यहां कभी निर्दलीय नही जीते। इस सीट पर हमेशा 2 राष्ट्रीय दलों का ही कब्जा रहा। यहां 2002 में कांग्रेस के योगम्बर सिंह रावत के सिर ताज सजा। लेकिन मुख्यमंत्री एन डी तिवारी के लिए उन्होंने अपनी सीट छोड़ी। जिसके बाद यहां से एन डी तिवारी विधायक चुने गए। 2007 में यह बाजी बीजेपी के दीवान सिंह बिष्ट ने जीत ली। 2012 में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व कैबिनेट मंत्री अमृता रावत ने विजयी पताका फहराई। तो 2017 में फिर भाजपा का झंडा बुलंद हुआ। इस बार इन दलों दलों के साथ अन्य दल और निर्दलीय प्रत्याशी समेत 11 दावेदार मैदान में है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह जंग फिर कांग्रेस के महेन्द्रपाल सिंह और बीजेपी के दीवान सिंह बिष्ट के बीच सिमट कर रह जाती है। या इस बार यहां यह मिथक टूटेगा। और कोई अन्य इस सीट पर काबिज होगा। यदि ऐसा हुआ तो राज्य में किसकी सरकार बनेगी या त्रिशंकु विधानसभा का गठन होगा।