
फिर लौटेगा इतिहास, कांग्रेस को भी है धामी की जीत का एहसास ! पढ़िये उत्तराखंड बनने से लेकर अब तक कितने सीएम ने लड़ा उपचुनाव?
देहरादून: उत्तराखंड मे ज़्यादातर विधायक दल का नेता विधायकों मे से नहीं बना ऐसा ही कुछ 2022 मे देखने को मिला पुष्कर बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी के नाम पर चुनाव लड़ा लेकिन खटीमा से पुष्कर सिंह धामी हार गए अब धामी उपचुनाव चंपावत से लड़ रहे हैं यानि ये चुनाव विधायक नहीं बल्कि सीएम का हो रहा है बीजेपी का कहना है की तमाम जनाधार बीजेपी के साथ है लोगों का कहना है की वो विधायक नहीं बल्कि सीएम चुनने जा रहे हैं सीएम धामी यहाँ से चुनाव जीतकर इस पहाड़ी क्षेत्र का विकास करेंगे यहाँ तमाम सुविधाएं उपलब्ध होंगी रोजगार मिलेगा विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। ऐसा नहीं की सिर्फ बीजेपी ही अपनी जीत का दावा कर रही है बल्कि कांग्रेस के दिग्गज भी इशारों – इशारों मे धामी की जीत का दावा कर रहे हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का कहना है की आज तक ये इतिहास रहा है की जिस सीएम ने भी उपचुनाव लड़ा वो हारा नहीं।
आइये एक नज़र मे जानते है इतिहास
साल 2002 में उत्तराखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे जिसमे कांग्रेस ने नारायण दत्त तिवारी को सीएम पद के लिए नामित किया था ऐसे में तिवारी के विधायक बनने के लिए कांग्रेस के विधायक योगंबर सिंह रावत ने सीट खाली की थी। साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पौड़ी गढ़वाल से सांसद भुवन चंद्र खंडूरी के नेतृत्व में लड़ा था. लेकिन खंडूरी को विधायक बनना था. ऐसे में खंडूरी के लिए धुमाकोट सीट से कांग्रेस विधायक टीपीएस रावत ने इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस तरह खंडूरी के विधायक बनने का रास्ता साफ हुआ था। 2012 के विधानसभा में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की तो मुख्यमंत्री का ताज सांसद विजय बहुगुणा के सिर सजा था. बहुगुणा के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी में सेंधमारी कर ऊधमसिंह नगर जिले की सितारगंज सीट के विधायक किरण मंडल का इस्तीफा कराया था. इस तरह बहुगुणा ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने. इसी तरह वर्ष 2014 में जब विजय बहुगुणा को हटाकर कांग्रेस ने हरीश रावत मुख्यमंत्री बनाया जो केंद्र में मंत्री थे. ऐसे में हरीश रावत के लिए धारचूला के कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने अपनी सीट छोड़ दी थी, जहां से जीतकर हरीश रावत विधायक बने थे.
उसके बाद 2017 मे विधानसभा चुनाव हुए जिसमे उत्तराखंड मे अफली बार विधायकों मे से विधायक दल का नेता चुना गया और वो नेता त्रिवेन्द्र सिंह रावत थे। लेकिन 2021 मे त्रिवेन्द्र को हटाकर सीएम तीरथ सिंह रावत को बनाया गया जो पौड़ी गढ़वाल से लोकसभा संसद भी हैं लेकिन तीरथ सिंह रावत को भी 4 महीने बाद कुर्सी छोड़नी पड़ी उसके बाद बीजेपी ने खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया लेकिन जब उत्तराखंड 2022 मे चुनाव हुए तो पुशकर धामी हार गए और अब धामी चंपावत से उपचुनाव लड़ रहे हैं। और एक तरफ जहां बीजेपी लगातार अपनी जीत का दावा कर रही है वहीं दिग्गज कांग्रेसी भी बीजेपी की जीत निश्चित बता रहे हैं तो सवाल ये है की क्या कांग्रेस सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए चुनावी मैदान मे है ?