
पीएम मोदी बोले- भारत का संविधान केवल धाराओं का संग्रह नहीं यह स्वतंत्रता का एक विश्वास, देखिये VIDEO
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत का संविधान केवल एक पुस्तक नहीं है। यह सिर्फ धाराओं का संग्रह नहीं है। यह एक निष्ठ और विचार है। भारत का संविधान स्वतंत्रता का एक विश्वास है। उन्होंने कहा कि जब हम कोई नए संकल्प लेकर निकलते हैं तो हमारी जानकारी हमारी जागरूकता बनती है। बोध ही, हमारा प्रबोध करता है, इसलिए एक राष्ट्र के रूप में हम संविधान के सामर्थ्य का उतना ही विस्तृत उपयोग कर पाएंगे जितना हम अपने संविधान को गहराई से जानेंगे। प्रधानमंत्री शनिवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय की पुस्तक ‘भारतीय संविधान की अनकही कहानी’ के लोकार्पण कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि पुस्तक लोकार्पण का दिन बहुत ही खास है। 18 जून को ही मूल संविधान के पहले संशोधन पर तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने हस्ताक्षर किए थे। यानी शनिवार का दिन लोकतांत्रिक गतिशीलता का पहला दिन था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘भारतीय संविधान अनकही कहानी’ राम बहादुर राय की यह पुस्तक अपने शीर्षक को चरितार्थ करेगी और देश के सामने संविधान को और भी व्यापक रूप में प्रस्तुत करेगी। मैं इस अभिनव प्रयास के लिए राम बहादुर राय जी को और इसके प्रकाशन से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं। हम संविधान की ताकत का उतना ही विस्तृत उपयोग कर पाएंगे जितना हम इसको गहराई से जानेगे।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां सामान्य जनमानस को प्रेरणा देने के लिए ऋषियों ने मंत्र दिया था, चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति… एक पत्रकार के लिए ये मंत्र नए विचारों की खोज और समाज के सामने कुछ नया लाने की लगन यही उनकी सहज साधना होती है। आजादी के अमृत महोत्सव में देश आज आजादी की लड़ाई के अनकहे अध्ययों को सामने लाने का सामूहिक प्रयास कर रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि जिन सेनानियों ने इस लड़ाई में अपना सर्वस्व न्यौछावर किया फिर भी विस्मृत रह गए। जिन घटनाओं ने आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी… फिर भी भुला दी गईं। जो विचार आजादी की लड़ाई को ऊर्जा देते रहे… फिर भी आजादी के बाद हमारे संकल्पों से दूर हो गए। देश आज फिर से उन्हें एक सूत्र में पिरो रहा है, ताकि भविष्य के भारत में अतीत की चेतना और मजबूत हो सके। इसलिए आज देश के अनकहे इतिहास पर शोध कर रहे हैं… किताबें लिख रहे हैं।
मोदी ने कहा कि संविधान, आजाद भारत की ऐसी परिकल्पना के रूप में हमारे सामने आया था, जो देश की कई पीढि़यों के सपने को साकार कर सके। संविधान निर्माण के लिए पहली बैठक नौ दिसंबर 1946 को हुई थी। स्वतंत्रता से पहले हुई इसकी बैठक के पीछे ऐतिहासिक संदर्भ है। पीएम ने कहा कि अधिकार और कर्तव्यों का तालमेल ही संविधान को खास बनाता है। हमारे अधिकार हैं तो कर्तव्य भी हैं। कर्तव्य हैं तो अधिकार उतने ही मजबूत होंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि वर्तमान युवा पीढ़ी डिजिटल युग में जी रही है। इस पीढ़ी के लिए संविधान को सरल और रोचक तरीके से बताना चुनौतीपूर्ण काम है। इसमें यह पुस्तक काफी हद तक सफल है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि संविधान बनने की पूरी कहानी रोचक तरीके से पुस्तक में प्रस्तुत की गई है। संविधान बनने के दौरान की बैठकों और वक्तव्यों के बारे मेंे किताब में विस्तार से जिक्र है।