- Home
- कॉर्बेट नेशनल पार्क
- नैनीताल दुष्कर्म केस, अंजुमन इस्लामिया ने किया आरोपी के परिवार का सामाजिक बहिष्कार, मस्जिद आने पर भी लगाई रोक

नैनीताल दुष्कर्म केस, अंजुमन इस्लामिया ने किया आरोपी के परिवार का सामाजिक बहिष्कार, मस्जिद आने पर भी लगाई रोक
नैनीनीता: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में हाल ही में 12 साल की बच्ची से हुई दुष्कर्म की घटना ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश को झकझोर रख दिया है. 12 साल की बच्ची से दुष्कर्म का आरोप 65 साल के मो. उस्मान पर लगा है. पुलिस आरोपी की गिरफ्तार कर जेल भी भेज चुकी है, लेकिन लोगों का गुस्सा फिर भी शांत नहीं हो रहा है. प्रदेश भर में इस घटना को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे है. वहीं नैनीताल की प्रमुख सामाजिक एवं धार्मिक संस्था अंजुमन इस्लामिया ने भी आरोपी के परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
अंजुमन इस्लामिया के सदर (अध्यक्ष) शोएब अहमद ने इस मामले को लेकर नैनीताल में पत्रकार वार्ता की थी. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया है कि आरोपी को अब नैनीताल में होने वाले किसी भी धार्मिक, सामाजिक या पारिवारिक कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा. यहां तक आरोपी के परिवार के मस्जिद में आने पर भी रोक लगाई गई है.
उन्होंने कहा कि ऐसे घिनौने अपराध के लिए समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता, और इस तरह की अमानवीय हरकत को अंजुमन इस्लामिया पूरी तरह से निंदनीय मानती है.
हमारी संस्था नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों में विश्वास रखती है, जो व्यक्ति समाज की नाबालिग बच्चियों के साथ दरिंदगी करें, उसे किसी भी प्रकार की सामाजिक सहमति नहीं दी जा सकती. यह फैसला केवल आरोपी के खिलाफ नहीं है, बल्कि एक संदेश है कि इस प्रकार की घटनाएं अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी.
शोएब अहमद, अध्यक्ष, अंजुमन इस्लामिया
उन्होंने बताया कि अंजुमन इस्लामिया ने स्थानीय प्रशासन से भी इस मामले में कठोर से कठोर कार्रवाई की मांग की है. साथ ही पीड़िता और उसके परिवार को हरसंभव सहायता देने का भी आश्वासन दिया गया है. संगठन की ओर से पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक एवं कानूनी सहायता की व्यवस्था की जा रही है, ताकि उन्हें न्याय दिलाया जा सके. अंजुमन के इस निर्णय का समाज के अन्य संगठनों और स्थानीय निवासियों ने भी समर्थन किया है.
नैनीताल के नागरिकों ने इस फैसले को एक सकारात्मक कदम बताते हुए कहा है कि इससे समाज में भय और अपराध के खिलाफ एक मजबूत संदेश जाएगा. वहीं, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करे. यह पहली बार है जब किसी धार्मिक संस्था ने सार्वजनिक रूप से ऐसे अपराध के खिलाफ इस स्तर पर सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया है.
अंजुमन इस्लामिया की इस पहल को समाज में नारी सुरक्षा और नैतिक चेतना के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. पीड़िता के साथ हुई यह अमानवीय घटना न केवल एक परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है. अब यह समय है जब समाज एकजुट होकर इस प्रकार की मानसिकता और अपराध के खिलाफ कठोर रुख अपनाए. अंजुमन इस्लामिया का यह निर्णय उसी दिशा में एक साहसी और सराहनीय कदम माना जा रहा है.