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पहली बार महिला अधिकारी के हाथों में हरिद्वार कुंभ मेले की जिम्मेदारी, जानिए सरकार ने क्यों सौंपी कमान

By on May 15, 2025 0 261 Views

देहरादून: हरिद्वार कुंभ मेला 2027 को लेकर सरकार काफी उत्साहित दिखाई दे रही है. यही कारण है कि इस अर्ध कुंभ मेले को सिर्फ कुंभ मेले के नाम से प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है. जबकि, साल 2021 में पूर्ण कुंभ मेला आयोजित हुआ था. जिसके बाद अब यह अर्ध कुंभ मेला 2027 हो रहा है, लेकिन अर्ध नाम पूरी तरह से इस मेले से हटा दिया गया है. इसे भी कुंभ मेला ही कहा जा रहा है.

लिहाजा, हरिद्वार कुंभ मेला 2027 को लेकर सरकार अभी से ही तैयारियों में जुट गई है. यही वजह है कि 2 साल पहले से ही सरकार ने मेला अधिकारी की भी नियुक्ति कर दी है. हरिद्वार के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब कोई महिला मेला अधिकारी बन रही हैं. दुनिया में सबसे बड़े मेलों में से एक कुंभ मेले की पूरी व्यवस्था एक महिला अधिकारी सोनिका सिंह के कंधों पर होगी. मुख्यमंत्री कार्यालय की मानें तो राज्य सरकार ने पहले भी महिलाओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है.

सिर्फ मेला नहीं कुंभ, बसाना पड़ता है पूरा शहर

हर 12 साल बाद हरिद्वार में कुंभ मेला लगता है. जबकि, हर 6 साल में अर्ध कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. देश में अर्ध कुंभ मेला इलाहाबाद और हरिद्वार में ही लगता है. कुंभ मेले की तरह ही सरकार अर्ध कुंभ मेले में सभी व्यवस्थाएं बनाती हैं. इस पूरे मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार में गंगा में गोते लगाने आते हैं.

इस बार राज्य सरकार इस मेले को पूर्ण कुंभ यानी पूरी तरह से कुंभ नगरी बसाकर मेले का आयोजन कर रही है. बताया जा रहा है कि कुंभ मेले में शाही स्नान की तरह ही पेशवाई के रूप में साधु संत गंगा स्नान भी करेंगे. यानी पूरा आकर्षण का केंद्र इस बार हरिद्वार के अर्ध कुंभ मेले में देखने के लिए मिल सकता है. माना जा रहा है कि इसी वजह से इसकी तैयारी 2 साल पहले से ही शुरू कर दी है.

अब तक नहीं हुई महिला अधिकारी की तैनाती

कुंभ और अर्ध कुंभ मेला के इतिहास की अगर बात करें तो साल 1986 में हरिद्वार में अर्ध कुंभ मेला तब आयोजित हुआ था, जब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे. उन्होंने अरुण कुमार मिश्रा को मेला अधिकारी बनाकर भेजा. हरिद्वार के लोगों का कहना है कि सबसे पहले 1986 के कुंभ मेले में ही पहली बार स्थायी काम हुआ.

सड़क, पुल समेत अन्य काम ऐसे थे, जो मेले के बाद भी जस के तस रहे. इसके बाद साल 1998 में जब कुंभ मेले का आयोजन हुआ तो फतेह बहादुर सिंह को मेला अधिकारी बनाकर भेजा गया, लेकिन वो भी ज्यादा समय तक नहीं रह पाए. उसके बाद साल 1992 में लगे अर्ध कुंभ मेले में राजीव गुप्ता को मेला अधिकारी बनाया गया.

इसके बाद साल 2004 में तो मेला अधिकारियों के लगातार फेरबदल किए गए. सबसे पहले पूर्व मुख्य सचिव रहे आईएएस ओम प्रकाश को मेला अधिकारी बनाया गया, लेकिन उन्हें भी मेला अधिकारी पद से हटा दिया गया. इसके बाद आईएएस अधिकारी महेश्वरी को जिम्मेदारी दी गई.

वो उस वक्त हरिद्वार के जिलाधिकारी पद पर तैनात थे, लेकिन उनके पास भी यह चार्ज ज्यादा दिन तक नहीं रहा. फिर एससी नपच्याल को चार्ज दिया गया, लेकिन वो भी ज्यादा समय तक मेला अधिकारी नहीं रह पाए. इसके बाद उत्पल कुमार सिंह को मेला अधिकारी बनाया गया.

उनके ही कार्यकाल के दौरान मेला पूर्ण हुआ. साल 2010 के कुंभ मेले में मौजूदा मुख्य सचिव आनंद वर्धन मेला अधिकारी के रूप में कार्य संभाल रहे थे. जबकि, साल 2021 में आईएएस दीपक रावत को कुंभ मेले की कमान सौंपी गई.

इस बार अर्ध कुंभ मेले की जिम्मेदारी देहरादून की जिलाधिकारी रह चुकीं और मौजूदा समय में नागरिक उड्डयन की अपर सचिव सोनिका सिंह को दी गई हैं. इससे पहले मुख्य सचिव पद पर भी एक महिला अधिकारी की तैनाती प्रदेश में पहली बार हुई थी.

सीएम धामी बोले- दोनों की भूमिका अहम: सीएम धामी की ओस से जारी एक बयान में कहा गया है कि उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां पर महिलाओं की अहम भूमिका है, वहां पर महिला और पुरुष में किसी तरह की तुलना नहीं हो सकती.

महिला और पुरुष दोनों ही राज्य के विकास में अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं. सीएम धामी ने कहा कि उम्मीद है कि हरिद्वार के कुंभ मेले में इस बार जो काम साल 2021 के कुंभ मेले में कोरोना की वजह से नहीं कर पाए. वो इस बार पूरी भव्यता के साथ करेंगे.

दोनों की अहम भूमिका -सीएम:

नवनियुक्त कुंभ मेलाधिकारी सोनिका ने गिनाईं प्राथमिकताएं

हरिद्वार कुंभ मेला 2027 के लिए आईएएस सोनिका सिंह को कुंभ मेला अधिकारी नियुक्त किया गया है. जिसके बाद आईएएस सोनिका सिंह हरिद्वार पहुंची और मेला नियंत्रण भवन के मेलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर मेलाधिकारी का चार्ज संभाला. इस दौरान कुंभ मेलाधिकारी सोनिका सिंह ने अपनी प्राथमिकताएं रखी और अधिकारियों से तमाम जानकारियां ली.

मेरी कोशिश रहेगी कि आगामी कुंभ मेले का भव्य आयोजन किया जा सके. कुंभ को भव्य मनाने के लिए ट्रैफिक, लॉ एंड ऑर्डर और भीड़ मैनेजमेंट पर जोर दिया जाएगा. कोशिश यही रहेगी कि लंबी अवधि वाले कार्य समय से पूरे हों. कुंभ के भव्य आयोजन के लिए जो सुझाव आए हैं, उनमें स्थायी और अस्थायी दोनों ही प्रकार के कार्यों को शामिल किया गया है, जिस तरह से प्रयागराज में एक भव्य कुंभ का आयोजन हुआ है, उसी तरह से उनकी की कोशिश रहेगी कि हरिद्वार का कुंभ भी भव्य और दिव्य हो.” 

सोनिका सिंह, कुंभ मेलाधिकारी, हरिद्वार