
कॉर्बेट के जिप्सी मालिक और ट्रेवल एजेंट इतने पॉवरफुल कैसे।
लगता है कॉर्बेट के जिप्सी मालिक और ट्रेवल एजेंट इतने पॉवरफुल हो गए हैं कि अब प्रदेश के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन ने भी उनके सामने घुटने टेक दिए हैं। कुल मिलाकर स्थिति यह आ गई है कि वही अब कॉर्बेट में जिप्सी के रोटेशन का फैसला करेंगे। मामला रामनगर स्थित कॉर्बेट पार्क का है। जहां कुछ ट्रेवल एजेंट और तालाब की बड़ी मछलियां अन्य जिप्सी मालिको का शोषण कर रही हैं। हालात यह है कि इन जिप्सी मालिको को सफारी के सरकारी दरों से 700 रुपए तक कम दिए जाते हैं। लेकिन अन्य जिप्सी मालिको के पास काम ना होने के चलते वह इतने से ही संतोष करने पर मजबूर हैं।
प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री लोगो को रोजगार देने और प्रदेश से भ्रष्ट्राचार खत्म करने के प्रति संवेदनशील हों, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कुछ लोग इस भ्रष्ट्राचार में ही अपना भविष्य देख रहे हैं। कॉर्बेट पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रमण क्या किया। यहां सैलानियों का तांता लगने लगा। प्रधानमंत्री ने भी यहां के बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने और पर्यटको को आकर्षित करने के लिए यहां टाइगर सफारी और ज़ू बनाने की घोषणा की। जिन पर काम गतिमान है। लेकिन हालात यह हैं कि यहां के वन अधिकारी संवेदनहीन हो चुके हैं।
दरअसल कॉर्बेट में कुछ बड़ी मछलियां किसी और को पनपने नही देना चाहती। जिसके चलते हालात यह हैं कि यहां व्यस्त टूरिज्म सीजन में परमिट होने के बावजूद जिप्सी नही मिल पाती। क्योंकि यह जिप्सियां कॉर्बेट के साथ ही सीतावनी में भी जाती हैं। जहां व्यस्त सीजन में उन्हें अधिक रेट मिल जाते हैं। जिप्सी ना मिलने की घटना आम पर्यटको के साथ ही कई बार अन्य राज्यो के जजो को भी उठानी पड़ी है। ऐसे में रोटेशन ही सबसे सही उपाय है। जो पर्यटको को जिप्सी दिलाने की गारंटी के साथ ही जिप्सी मालिक को पूरा पैसा देने का विश्वास दिलाता है। लेकिन प्रदेश के पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) इस सुधार को कॉर्बेट में लागू नही कराना चाह रहे हैं। उसमे उनकी क्या मजबूरी है यह वही जान सकते हैं। लेकिन उन्होने इस मामले में वोटिंग का ऑप्शन दे दिया। जिससे साफ जाहिर होता है कि कॉर्बेट में क्या होगा यह तय कॉर्बेट प्रशासन और वनाधिकारी की जगह जिप्सी के मालिक तय करेंगे। दूसरी ओर मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप यहां महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ते हुए जिप्सी ड्राइवर की ट्रेंनिग के साथ ही उन्हें जिप्सियां दिलाई जा रही हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या वह जिप्सियां भी इन्ही बड़ी मछलियों के रहमोकरम पर चलेंगी, या प्रदेश के मुखिया और वनाधिकारी के साथ ही कॉर्बेट प्रशासन इस अपरोक्ष भ्रष्ट्राचार पर कोई ठोस कार्रवाई अमल में लाएगा।