
भूवैज्ञानिक दल ने किया आपदा प्रभावित क्षेत्र धराली का स्थलीय निरीक्षण, आगामी संभावित खतरे और उसके बचाव का किया अध्ययन
उत्तरकाशी : सचिव खनन के निर्देशन पर उत्तराखंड शासन, औधोगिक विकास विभाग द्वारा गठित भूवैज्ञानिक दल द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्र धराली-हर्षिल में क्षेत्रीय भ्रमण किया गया। भूवैज्ञानिक दल द्वारा ग्राम धराली आपदाग्रस्त का भूगर्भीय निरीक्षण करते हुए सम्भावित खतरे एंव बचाव हेतु उपाय का अध्ययन किया गया। दल द्वारा हर्षिल में विशेष रूप से नगर के सामने ऊपरी हिस्से में और सेना शिविर के पास एक स्थानीय धारा (गदेरा) तेलगाड़ तीव्र वर्षा के कारण सक्रिय हो गई। भूवैज्ञानिक टीम द्वारा किये गये निरीक्षण से पता चला कि भागीरथी नदी का बायां किनारा संतृप्त जलोढ़ पंख द्वारा अवरुद्ध था। इसकी उच्च आर्द्रता सामग्री के कारण, पंख कमजोर था, जिससे भारी मशीनरी जैसे जेसीबी व पोखलेन्ड को तैनात नहीं किया जा सकता था – जो स्थानीय रूप से उपलब्ध एकमात्र उपकरण था। मैनुअल श्रम संसाधन भी सीमित थे।
क्षेत्र के आंकड़ों और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर, भूवैज्ञानिकों ने आंशिक प्रवाह को बहाल करने के लिए एक आपातकालीन वैज्ञानिक मलबा निकासी और चैनेलाइजेशन योजना तैयार की। योजना में धीरे-धीरे रुके हुए पानी को छोड़ने के लिए लगभग 9-12 इंच गहराई के छोटे विचलन चैनल बनाने शामिल थे।जिलाधिकारी उत्तरकाशी के साथ भूवैज्ञानिक दल द्वारा हर्सिल झील क्षेत्र का मुआयना किया गया तथा कार्य योजना के परिणामो को सार्थक पाया गया जिससे झील का जलस्तर नियंत्रित व निचले भागों में जमा मलवा स्वतः नदी के कटाव से निस्तारित होना पाया गया।