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सीएम धामी नें किसाऊ बांध परियोजना बैठक में की शिरकत, केंद्रीय जलशक्ति के सामने रखा राज्य का पक्ष, कहा- उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगा प्रोजेक्ट

By on September 21, 2022 0 168 Views

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में किसाऊ बांध बहुद्देशीय परियोजना पर  आयोजित बैठक में प्रतिभाग किया। बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने वर्चुअल प्रतिभाग किया। बैठक में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने परियोजना के संबंध में अपने-अपने राज्य का पक्ष रखा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि परियोजना डीपीआर की लागत बढ़ने की दशा में विद्युत घटक लागत को स्थिर रखा जाए अथवा बढ़ी हुई विद्युत घटक लागत को अन्य चार लाभार्थी राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली द्वारा वहन किया जाए। ताकि राज्य के उपभोगताओं को सस्ती दर पर विद्युत आपूर्ति उपलब्ध हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राष्ट्रीय  परियोजना, उत्तराखण्ड के विकास हेतु मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि परियोजना विकास की अवधि में स्थानीय निवासियों व ग्रामीणों को आय वृद्धि के विभिन्न संसाधन यथा स्थाई व अस्थाई रोजगार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होंगे। क्षेत्र के विकास व जनकल्याण हेतु समय- समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से क्षेत्र विशेष हेतु लाभप्रद योजनाएं विकसित की जाएगी, जिससे पलायन की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा।

हिमाचल एवं उत्तराखंड राज्य की सीमा पर तमसा (टोंस) नदी पर बांध बनाया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि यह एशिया का दूसरा बड़ा बाध होगा। इसमें हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की बराबर की हिस्सेदारी रहेगी। परियोजना में 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सरकार 10 फीसदी हिस्सा देगी। किशाऊ बांध 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा होगा जिसमें 660 मेगावाट बिजली तैयार होगी। इस बांध के बनने से हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। सबसे ज्यादा लाभ इस बांध से दिल्ली को होगा, जहां पानी की आपूर्ति को पूरा किया जाएगा। बता दें कि किशाऊ बांध सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसके निर्माण को लेकर हिमाचल और उत्तराखंड राज्यों ने अपनी सहमति दे दी है। सरकार ने वर्ष 2008 में इसको राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया है।

32 किलोमीटर लंबी बनेगी झील

इस परियोजना के अंतर्गत हिमाचल के मोहराड़ से लेकर उत्तराखंड के त्यूणी तक 32 किलोमीटर की लंबी झील बनेगी। अभी तक की सर्वेक्षण रिपोर्ट में बांध की जद में 81300 पेड़, 631 लकड़ी के मकान, 171 पक्के मकान, उत्तराखंड व हिमाचल के 632 सामूहिक परिवार, 508 एकल परिवार, 8 मंदिर, 6 पंचायतें, 2 अस्पताल, 7 प्राथमिक पाठशालाएं, 2 माध्यमिक स्कूल और एक इंटर कॉलेज आएंगे। इस परियोजना का कुल क्षेत्र 2950 हेक्टेयर है जिसमें हिमाचल की 1498 हेक्टेयर और उत्तराखंड की 1452 हेक्टेयर भूमि बांध में जलमग्न हो जाएगी। दोनों राज्यों के 900 परिवार प्रभावित होंगे।

ये रहेगी राज्यों की हिस्सेदारी:

बांध परियोजना में हरियाणा राज्य 478.85 करोड़, उत्तर प्रदेश 298.76 करोड़, राजस्थान 93.51करोड़, दिल्ली 60.50 करोड़, उत्तराखंड 38.19 करोड़ व हिमाचल 31.58 करोड़ खर्च करेगा। बीते वर्ष 21 सितंबर को बोर्ड की बैठक और 24 नवंबर को हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि किशाऊ बांध परियोजना की डीपीआर संशोधित की जाएगी।

इस संशोधन से पूर्व सिरे से हाईड्रोलॉजिकल डाटा, सर्वेक्षण, अतिरिक्त सर्वेक्षण, विस्तृत जियो तकनीकी इन्वेस्टिगेशन, ताजा सीस्मिक पैरामीटर स्ट्डीज, परियोजना में संशोधित खर्च के हिसाब से संशोधित ढांचा तैयार किया जाएगा। इस संशोधन के लिए नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी की मदद से हाइड्रोलॉजिकल डाटा संग्रहण किया जाएगा।

15 हजार करोड़ रुपये आएगी लागत

आईआईटी रुड़की की मदद से सीस्मिक डिजाइन पैरामीटर स्टडी की जाएगी। इसके बाद संशोधित डीपीआर तैयार की जाएगी। माना जा रहा है कि संशोधित डीपीआर में इस परियोजना की लागत 11 हजार करोड़ से बढ़कर 15 हजार करोड़ हो सकती है।

सिरमौर के ये गांव होंगे प्रभावित

किशाऊ बांध परियोजना बनने से प्रभावित होने वाले हिमाचल जिला सिरमौर उपमंडल शिलाई के गांव मोहराड़, मशवाड, कंड्यारी, नेरा, बड़ालानी, सियासु, थनाणा, धारवा, शिला जिला के गांव गुम्मा, फेलग, अंतरोली और उत्तराखंड के क्वानु, सावर, कोटा सहित 17 गांव प्रभावित होंगे।

विस्थापितों के सुझाव

लोगों ने सुझाव दिया कि सरकार को कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए, जिससे बांध भी बन जाए और लोगों को विस्थापित भी न होना पड़े। कोटी-इछाड़ी जैसी परियोजना की तरह इस बांध को तीन छोटी-छोटी इकाइयों में तब्दील किया जाए, जिससे लोगों का विस्थापन न हो। पर्यावरण पर भी विपरीत असर न पड़े। क्वानु गांव जैसी उपजाऊ जमीन कहीं नहीं हो सकती है। क्वानु गांव तमसा नदी के किनारे पहाड़ों के बीच मैदानी जगह पर बसा है, जहां कभी सूखा नहीं