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बेहराम मां ने नवजात बच्चें को खेत में फेका।
काशीपुर क्षेत्र मे बच्चे को जन्म लेने के बाद पुरी एहतियाद बरती जाती हे ताकि मासूम को कोई बीमारी ना हो जाये। लेकिन यहां तस्वीर एक दम जुदा मिली। जन्म लेते ही जिस बच्चे को मां के सीने से लगाना चाहिए था, वो बच्चा खेत में फेंक दिया। बच्चे की सांसे ना चलें और उसकी रोने की आवाज किसी के कानो तक सुनाई ना दे, इसलिए उसके मुंह में कपडा ठूंस दिया गया, ये किसी क्रूरता से कम नहीं, मगर बच्चे की किस्मत में शायद कुछ और ही लिखा था, इसलिए खेत में फेंका गया बच्चा एक व्यक्ति को दिखाई दिया, कपडे लिपटा और छटपटाहट का वो दृश्य देख उस व्यक्ति ने आस पास के लोगों को बुलाया और दिखाया कि इस कपड़े में कुछ है जो हिल रहा है, जब कपड़ा हटाया गया तो सभी हैरान थे, क्योंकि कपड़े में लिपटा हुआ एक नवजात शिशु था, जिसके मुंह में कपड़ा डाल दिया गया था जिससे उसकी आवाज किसी को सुनाई ना दे और बच्चे की जीवन लीला समाप्त हो जाए, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था, बच्चे की आवाज भगवान के कानों तक जरूर पहुंची होगी जो बच्चा किसी तरह से बच गया और अब सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है।और प्रशानिक देख रेख मे पलरहे बच्चो को नाम दिया गया हे।जो कि अब प्रियांस के नाम से जाना जायेगा।
बुद्धवार को जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य अमित श्रीवास्तव ने एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय पहंुच नवजात बच्चे की स्थिति के बारे में जानकारी ली। इस दौरान उन्होनंे अस्पताल प्रबंधन को समिति के अगले आदेश तक देखभाल करने की बात कही।
बता दें कि बीती 16 नवम्बर को टांडा उज्जैन पुलिस चौकी क्षेत्र के ग्राम ढकिया गुलाबों स्थित एक खेत में नवजात बच्चा कपड़े में लिपटा मिला था। खेत में नवजात शिशु के पड़े होने की सूचना मिलते ही महिला पुरुषों की भीड़ जमा हो गई। ग्रामीणों ने नवजात को सरकारी अस्पताल में भर्ती करा करा दिया था। जिसके बाद से अस्तपाल प्रबंधन बच्चे की देखभाल में लगा है। बुद्धवार को जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य अमित श्रीवास्तव ने एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय पहंुच नवजात बच्चे की स्थिति के बारे में जानकारी ली। इस दौरान उन्होनंे अस्पताल प्रबंधन को समिति के अगले आदेश तक देखभाल करने की बात कही। अमित श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चे की स्थिति ठीक है तथा कम से कम दो दिन और चिकित्सकों की निगरानी में रखा जायेगी। यदि बच्चा स्वस्थ पाया जाता है तो उसे शिशु गृह भेज दिया जायेगा। इस दौरान अमित श्रीवास्तव ने बाल का नामकरण करते हुए उसे प्रियांस् का नाम दिया गया। बताया कि बच्चे को दो माह बाद दत्त ग्रहण हेतु मुक्त किये जायेगा तथा तब तक जैविक मां-बाप की तलाश की जायेगी।कुल मिला कर पूरा मामला चर्चा का विषय बना हुआ हे।