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हरिद्वार धर्म संसद मामले मे अब सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई, सिब्बल बोले- सत्यमेव नहीं शस्त्रमेव जयते हो गया है देश का नारा
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कथित रूप से हिंसा भड़काने वाले हरिद्वार धर्म संसद के भाषणों की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई की गुजारिश की। सर्वोच्च अदालत की खंडपीठ ने सिब्बल को आश्वासन दिया कि उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली की ओर से दायर याचिका पर बिना देर किए सुनवाई की जाएगी। याचिका में हरिद्वार धर्म संसद सम्मेलन में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति हिंसा भड़काने वाले लोगों की गिरफ्तारी और उन पर मुकदमा चलाने की मांग की गई है।
कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए कहा कि लगता है देश का नारा ‘सत्यमेव जयते’ से बदलकर ‘शस्त्रमेव जयते’ कर दिया गया है। हम बहुत खतरनाक समय में रह रहे हैं जहां देश में नारे सत्यमेव जयते से बदलकर शस्त्रमेव जयते हो गए हैं। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सिब्बल से पूछा कि क्या मामले की कोई जांच पहले से ही चल रही है तो सिब्बल ने जवाब दिया कि प्राथमिकी दर्ज की गई है लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
सिब्बल ने कहा कि घटना उत्तराखंड में हुई है। ऐसे में सर्वोच्च अदालत के हस्तक्षेप के बिना दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की आशंका है। इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि ठीक है हम मामले को देखेंगे। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि कथित तौर पर 17 से 19 दिसंबर 2021 के दौरान हरिद्वार में यति नरसिंहानंद और दिल्ली में ‘हिंदू युवा वाहिनी’ द्वारा नफरत भरे भाषण दिए गए थे।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित घृणास्पद भाषणों में जातीय नरसंहार के लिए खुले आह्वान किए गए थे। याचिका में कहा गया है कि उक्त भाषणों में अभद्र भाषा के साथ साथ समुदाय विशेष की हत्या के लिए खुला आह्वान किया गया। ऐसे भाषण देश की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा हैं। इस तथ्य के बावजूद कि नरसंहार के लिए नफरत भरे भाषण इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस की ओर से इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।