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देवभूमि का दंगल 2022: दांव पर 5 परिवारों की पगड़ी-मुश्किलों से भरी हैं जीत की राहें, विरोधियों की चुनौती है तगड़ी

By on February 1, 2022 0 286 Views

देहरादून: उत्तराखंड  विधानसभा चुनाव 2022 Uमें बीजेपी, कांग्रेस और आप जैसी सियासी पार्टियों की इज़्ज़त तो दांव पर लगी हुई है , इसके साथ ही इन दलों के पांच दिग्गज नेताओं के परिवारों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। इनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री और दो पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं । जिनमें से दो परिवारों की दो बेटियों को  विधानसभा चुनाव में अपने अपने पिता की हार का हिसाब चुकता करने का मौका मिला है।

कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के चीफ और पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा, पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर बीजेपी लीडर  भुवनचंद्र खंडूरी की पुत्री ऋतु खंडूरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाई चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रही हैं। इन्ही के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य के पुत्र संजीव आर्य, , बीजेपी नेता और पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा भी चुनावी अखाड़े में अपनी अपनी पार्टियों के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं। हरीश रावत की बेटी अनुपमा,  हरक सिंह की पुत्रवधू अनुकृति पहली बार मैदान में उतरी हैं ,जबकि विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ ,यशपाल आर्य के बेटे संजीव  और भुवनचंद्र खंडूरी की बेटी ऋतु दूसरी बार मैदान में हैं। ये तीनों 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे।

हरिद्वार ग्रामीण- अनुपमा पर पिता हरीश की हार का हिसाब चुकता करने की चुनौती

कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत की बेटी अनुपमा हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं और वे भाजपा के उम्मीदवार कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद के खिलाफ उतरी हैं। स्वामी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अनुपमा रावत के पिता हरीश रावत को मुख्यमंत्री रहते हुए इस सीट पर 12 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। अनुपमा को अपने पिता को हराने वाले भाजपा उम्मीदवार स्वामी से राजनीतिक हिसाब किताब चुकता करने का मौका मिला है। उत्तराखंड के 21 साल के राजनीतिक इतिहास में भुवनचंद्र खंडूरी और हरीश रावत ऐसे राजनेता हैं जो मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा चुनाव हार गए थे और हरीश रावत तो दो विधानसभा सीटों से एक साथ चुनाव हारे थे।

फिर दांव पर जनरल का कोटद्वार के संग्राम में सम्मान

पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूरी को इस बार भाजपा ने यमकेश्वर के बजाय कोटद्वार सीट से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी की पहली सूची में उनका नाम काट दिया गया था। जबर्दस्त विरोध के बाद बीजेपी को ऋतु को कोटद्वार से टिकट देना पीडीए। इस सीट पर उनके पिता भुवनचंद्र खंडूरी 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस के पूर्व विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी से हार गए थे जिससे भाजपा और खंडूरी की खासी किरकिरी हुई थी। अब ऋतु का मुकाबला उनके पिता को चुनाव हराने वाले पूर्व विधायक कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नेगी से होगा। ऋतु खंडूरी को अपने पिता की हार का हिसाब सुरेंद्र सिंह नेगी से चुकता करने का मौका मिला है।

सितारगंज में दांव पर बहुगुणा परिवार की पगड़ी

सितारगंज विधानसभा सीट पर सितंबर 2012 में सीएम रहते विजय बहुगुणा कांग्रेस टिकट पर उपचुनाव जीत विधायक बने थे, इसी सितारगंज सीट पर सौरभ ने अपने पिता विजय बहुगुणा की सियासी विरासत को संभाला है।  2017 की जीत  को 2022 में दोहराने की बड़ी चुनौती है लिहाजा  विजय बहुगुणा और उनके बेटे की राजनीतिक इज्जत दांव पर लगी है।

यशपाल-संजीव के लिए नाक का सवाल बनी नैनीताल

यशपाल आर्य बाजपुर और उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से इस बार भाजपा की बजाय कांग्रेस के टिकट पर उतरे हैं। नैनीताल विधानसभा सीट पर संजीव आर्य का मुकाबला पूर्व विधायक सरिता आर्य से है। सरिता आर्य पिछली बार कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। वे संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने पर बगावत कर भाजपा में शामिल हो गईं। इस बार सरिता आर्य भाजपा और संजीव आर्य कांग्रेस के टिकट पर एक दूसरे के खिलाफ सामने खड़े हैं।

लैंसडौन जीताकर हरक को पास करना होगा इज़्ज़त का इम्तिहान

भाजपा से निकाले गए हरक सिंह रावत को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में नहीं उतारा है। उनकी जगह उनकी पुत्रवधू अनुकृति को पौड़ी गढ़वाल की लैंसडौन विधानसभा सीट से उतारा है। हरक सिंह की राजनीतिक इज्जत इस सीट पर दांव पर लगी है। 2002 और 2007 में हरक सिंह इस विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। भले ही कांग्रेस ने हरक सिंह रावत को पार्टी में तो शामिल कर लिया परंतु उन्हें और उनकी पुत्रवधू दोनों में से किसी एक को टिकट देने की शर्त तय कर दी। राजनीतिक मजबूरी के कारण हरक सिंह रावत ने खुद चुनाव लड़ने की बजाय अपनी पुत्रवधू को चुनाव मैदान में उतारा है।

वहीं  नेता प्रतिपक्ष रहीं कांग्रेस की दिवंगत नेता इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश अपनी मां की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए हल्द्वानी विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। हल्द्वानी से उनकी स्वर्गीय मां इंदिरा  कांग्रेस की विधायक और मंत्री रहीं। मां के निधन के बाद कांग्रेस ने बेटे सुमित को टिकट दिया और पहली बार सुमित को  विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला है।  उधर  पिथौरागढ़  सीट से दिवंगत  भाजपा नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत चुनाव लड़ रही हैं। दो साल पहले वे अपने पति के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में सहानुभूति लहर के कारण जीती थीं। इस बार भी  भाजपा ने  इस सीट से चंद्रा पंत को ही उतारा है। चंद्रा पंत के सामने  अपने पति की राजनीतिक विरासत को बचाने का बड़ा चैलेंज है।