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भाजपा मे ट्रेनिंग की तैयारी, कांग्रेस मे टकराव जारी, आखिर क्या है कांग्रेस की लाचारी ?
देहरादून: उत्तराखंड मे 70 मे से 47 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा दोबारा सत्ता मे काबिज हो गई है। अब भाजपा अपने जीते हुए 47 विधायकों को जल्द प्रशिक्षण देगी । भाजपा अपने विधायकों को संगठन और दायित्व निर्वहन के गुर सिखाएगी। इसके अलावा चुनाव मे सक्रिय और ज़िम्मेदारी निभाने वाले कार्यकर्ताओं को भी भाजपा जिला स्तर पर इस प्रशिक्षण मे शामिल कर आगे के दिशा निर्देश जारी करेगी ताकि पार्टी को और मजबूती मिल सके और सक्रिय कार्यकर्ता भाजपा के विचारों का आदान प्रदान जनता से कर सकें। संगठन महामंत्री के मुताबिक भाजपा के ऐसे कार्यकर्ता जो सक्रिय हैं उन्हे दायित्व दिये जाएंगे। यानि बिलकुल साफ है भाजपा उत्तराखंड मे और मजबूत होना चाहती है आगे पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव आने वाले हैं और इस तैयारी को लोग चुनावी तैयारी के रूप मे भी देख रहे हैं।
एक तरफ जहां भाजपा जीतकर भी कुनबा बढ़ाने मे लगी है विधायक से लेकर आम कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चल रही है वहीं 19 सीटों पर संतोष करने वाली कांग्रेस अब तक न तो नेता प्रतिपक्ष ढूंढ पाई है और न ही प्रदेश अध्यक्ष यहाँ तक की विधान सभा का सत्र भी कांग्रेस ने बिना नेता प्रतिपक्ष के किया जिसकी उत्र्रखंड के राजनीतिक गलियारों मे अब तक चर्चा है। सवाल ये है की आखिर उत्तराखंड मे हारी हुई पार्टी कांग्रेस अपने संगठन का नेता चुनने मे इतना वक़्त क्यों लगा रही है। कांग्रेस मे गुटबाजी तो जगजाहिर है तो क्या उसी गुटबाजी के डर से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पा रही। सवाल पूछने पर कांग्रेस की तरफ से सिर्फ एक जवाब आता है की किसे बनाना है किसे नही हाइकमान तय करेगा तो क्या हाइकमान भी उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी देखकर विलंब कर रहा है। लोकतन्त्र मे विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है लेकिन उत्तराखंड मे विपक्ष अब तक अपना नेता नहीं चुन पा रहा है । सवाल ये उठता है की कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष और सदन को नेताप्रतिपक्ष कब और कैसे मिलेगा और उत्तराखंड कांग्रेस मे गुटबाजी कब खत्म होगी। भाजपा का कहना है की कांग्रेस गृह युद्ध से ग्रस्त है।