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भ्रष्टाचार पर धामी का प्रहार, लोकयुक्त पर हरदा का वार…

By on April 10, 2022 0 193 Views

देहरादून : दोबारा सत्ता मे आई धामी सरकार ने भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों की नकेल कसने के लिए कसरत शुरू कर दी है। आपको बता दें की सीएम धामी पहले ही कह चुके थे की उनका सपना है की देवभूमि उत्तराखंड भ्रष्टाचार मुक्त हो। इस सपने को पूरा करने के लिए सीएम धामी ने  भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड 1064 एप का शुभारंभ कर दिया है । इस नंबर और एप पर कोई भी व्यक्ति सीधे शिकायत कर सकता है । शिकायतों पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाएगी।  मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने विजिलेंस विभाग के एप भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड 1064 का शुभारंभ किया। जो भी शिकायतें एप पर मिलेंगी, उन पर तत्परता से कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि, यदि किसी व्यक्ति की शिकायत विजिलेंस से संबंधित नहीं है, तो उसे सीएम हेल्पलाइन एवं संबंधित विभाग को भेजा जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि शिकायतकर्ता ने जो शिकायत की है, उसके स्टेटस अपडेट की पूरी जानकारी उसे मिले। सीएम धामी ने सतर्कता विभाग के दो इंस्पेक्टरों को शिकायतों की विवेचना करने के लिए टेबलेट भी दिए हैं यानि सीएम धामी ने उत्तराखंड के भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों पर लगाम लगते हुए जनता को राहत दी है। अब जनता भ्रष्टाचार की सीधी शिकायत एप पर कर सकती है और सीएम हेल्पलाइन नंबर पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है जिस पर त्वरित कार्यवाई की जाएगी और समस्या का समाधान किया जाएगा।

सीएम धामी के भ्रष्टाचार पर प्रहार के बाद उधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लोकपाल और लोकायुक्त का मुद्दा उठाकर एक बार फिर सरकार को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि लोकपाल वर्ष 2014 में सत्ता परिवर्तन का टोटका बना था, लेकिन टोटके का इस्तेमाल कर सत्ता में आने वाले लोग अब खुद ही एक अनचाहा झंझट समझकर इसे भुला चुके हैं। वहीं प्रदेश में लोकायुक्त फाइल राज्यपाल के यहां से कहां गायब हो गई, इसका भी पता नहीं है। उनकी नई पोस्ट को लेकर चर्चा हो रही है।  आपको बता दें वर्ष 2016 में हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य विधानसभा की ओर से संशोधित रूप में पारित कानून के तहत लोकायुक्त चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का हौसला किया था। हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशन में दोनों कमेटियां, एक हाईकोर्ट के वरिष्ठ रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में और दूसरी कमेटी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के मार्ग निर्देशन में गठित हुई।

पहली कमेटी ने अपना दायित्व पूरा कर समय पर पत्रावली दूसरी कमेटी के सम्मुख प्रस्तुत कर दी। दूसरी कमेटी में राज्य के मुख्यमंत्री का मार्गदर्शन करने के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के प्रतिनिधि के तौर पर वरिष्ठतम न्यायधीश, प्रतिपक्ष के तत्कालीन नेता, एक वरिष्ठ मंत्री और विधानसभा के स्पीकर बैठे। इसके बाद सर्वसम्मति से लोकायुक्त और लोकायुक्त बेंच का चयन कर राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया गया। लेकिन इसके बाद यह फाइल कहां गई, इसका आज तक किसी को पता नहीं है।