
धामी सरकार के 3 साल को कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और घोटाले भरा बताया, आंकड़ों के साथ लगाए आरोप
देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार 2.O के 3 साल पूरे होने पर जहां भाजपा सरकार जगह-जगह अपने सरकार की उपलब्धियां गिना रही है. वहीं कांग्रेस ने धामी सरकार के 3 साल के कार्यकाल की खामिया गिनाई है. कांग्रेस ने 22 मार्च को देहरादून स्थित प्रदेश मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधानसभा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह मौजूद रहे. कांग्रेस के सभी नेताओं ने सरकार के 3 साल को निराशाजनक बताया. साथ ही खामियां गिनाई.
धामी सरकार पर फायर हुए हरदा
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार का 3 वर्ष का कार्यकाल होने जा रहा है. अगर इसमें भाजपा का पिछला कार्यकाल जोड़ें तो 8 वर्ष हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि हर वर्ग की जन भावनाओं और जन आकांक्षाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है. किसान, युवा, महिला, व्यापारी, वृद्धजनों के साथ भाजपा ने धोखा किया. इन वर्षों में भाजपा की कथनी और करनी में गंभीर अंतर रहा. प्रचार से जनता के असली सवालों से बचने का प्रयास किया गया. हरीश रावत ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी, पलायन असली मुद्दा है.
हरीश रावत ने आगे कहा कि, पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार करीब 6 दर्जन गांव भुतहा (घोस्ट विलेज) हैं. आज बेबसी का पलायन गंभीर समस्या बन गई है. राज्य के विकास में भी जबरदस्त असंतुलन दिखाई दिया. इनके प्रस्तावित बजट और जो क्रियान्वित हो रहा है, उसमें गंभीर अंतर है. जबकि कांग्रेस ने हमेशा जिला योजनाओं को महत्व दिया.
हरीश रावत ने कहा कि, मनरेगा के अंदर प्राप्त धनराशि से लेकर सेंटर स्पांसर योजनाओं की स्थिति भी चिंताजनक है. सिर्फ प्रचार के माध्यम से विफलताओं को ढकने की कोशिश की गई है. राज्य के पास विकास का कोई रोड मैप नहीं है. 2016 में सड़कों पर जितने डेंजर प्वाइंट थे, उनकी संख्या बढ़कर आज तिगुनी हो गई है. यही कारण है कि रोड एक्सीडेंट हो रहे हैं. पीएमजीएसवाई की सड़कों का कोई क्राइटेरिया नहीं है. ठेकेदार मनमाने तरीके से कम कर रहे हैं. राज्य की अधिकतर सड़कें पूरी तरह से गड्ढा युक्त हो गई हैं. जबकि सड़कें आईना होती हैं लेकिन सरकार इसमें भी फेल साबित हुई है. इसके साथ ही कैपिटल इनकम कम हुई है. जो भाजपा के दावों की पोल खोलता है.
हरीश रावत ने कहा कि सरकार का धामी एडिशन झूठ के गर्भ से पैदा हुआ है. इससे पूर्व त्रिवेंद्र एडिशन भी झूठ के गर्भ से पैदा हुआ था. यह सनातन के भी नहीं हैं. सनातन में परिवार को एक संस्था माना गया है. लेकिन इन्होंने लिव इन के जरिए उस संस्कृति पर भी हमला किया है. इसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इनकी राजनीति केवल घृणा द्वेष पर आधारित होती है. लोगों के अंदर घृणा पैदा करके द्वेष पैदा किया जा रहा है. लेकिन कांग्रेस के पास सशक्त यूनाइटेड अपोजिशन की क्षमता है. जब भी कांग्रेस को उत्तराखंड की जनता ने मौका दिया. कांग्रेस ने माइलस्टोन बनकर काम किया. लोग अब झूठ और फरेब के गर्भ से पैदा हुई भाजपा को नकारेंगे.
यशपाल ने किया हमला
वहीं, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बेरोजगारी, महंगाई और दलितों के उत्पीड़न का जिक्र किया. उन्होंने धामी सरकार के 3 वर्ष के कार्यकाल को विफलताओं का कार्यकाल बताया. उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, दलित शोषित समाज और महिलाओं का उत्पीड़न हुआ है. उत्तराखंड को अब भ्रष्टाचार के मॉडल के रूप में जाना जाता है. उन्होंने कहा कि 2017 में उत्तराखंड पर 35 हजार करोड़ का कर्ज था. लेकिन बीते 8 सालों में यह कर्ज बढ़कर 95 हजार करोड़ से ऊपर हो गया. सरकार को इसका जवाब देना होगा कि जो कर्ज प्रदेश की महान जनता पर थोपा गया है. उसमें जमीनी सतह पर क्या काम हुआ. इस वर्ष जो बजट पेश हुआ, उसका 45 फीसदी धनराशि राज्य सरकार खर्च नहीं कर पाई.
आपदा प्रबंधन में 596 करोड़ का बजट है. लेकिन सरकार 29 फीसदी ही खर्च कर पाई. पर्यटन का 259 करोड़ बजट है. लेकिन खर्च 30 फीसदी हुआ. वन विभाग के लिए 129 करोड़ बजट था. लेकिन बजट का 30 फीसदी ही खर्च हो पाया. हर साल जंगल और वनस्पतियां जल रही है. इससे आधुनिक उपकरण खरीदें जा सकते थे. लेकिन सरकार वृक्षारोपण में भी फिसड्डी साबित हुई है. इसी तरह समाज कल्याण विभाग में 158 करोड़ बजट व्यवस्था थी. लेकिन 8.26 फीसदी ही खर्च किया गया. यशपाल आर्य का कहना है कि सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली भाजपा ने इन तीन सालों में जल, जंगल, जमीन को बेचने का काम किया. नदियां खनन माफियाओं को सौंपी गई. वहीं वन विभाग और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है.
उन्होंने एक मंत्री पर लगे आय से अधिक संपत्ति काम मामला भी उठाया. यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि सरकार ने अब तक कितनी जमीन अपने चहेतों को दी है. इन्वेस्टर समिट के नाम पर करोड़ों खर्च कर दिए गए पर इन्वेस्टमेंट नहीं आया. इस पर सरकार को अपना पक्ष रखना चाहिए.
माहरा ने नदी, नारी और नौकरी का किया जिक्र
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि 8 साल की नाकारी सरकार, नदी नारी और नौकरी पर करे प्रहार. पूरे उत्तराखंड में मचा है हाहाकार. उन्होंने कहा कि उधम सिंह नगर में पुलिस की गोलाबारी में पंचायत प्रतिनिधि की मौत हो जाती है. भाजपा सरकार में खनन माफिया हावी हुआ है. भाजपा के पूर्व सीएम और सांसद त्रिवेंद्र रावत को संसद में मुद्दा उठाना पड़ा.
उन्होंने कहा कि NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड 9 हिमालयी राज्यों में महिला अपराध के मामलों में पहले पायदान पर है.प्रदेश में 60 हजार से ज्यादा पड़ खाली पड़े हैं. जबकि 40 हजार ऐसे लोग हैं जो ठेकेदारों के तहत काम कर रहे हैं. उपनल वाले कर्मियों को कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार नौकरी नहीं दे रही है. राज्य में हुए भर्ती घोटाले में भाजपा के नेता ही पकड़े गए. सरकार के पास कोरोना में हुई वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों की खरीद का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इसके अलावा उन्होंने चार धाम यात्रा में मृत्यु के आंकड़ों को भी छिपाने का आरोप लगाया.
प्रीतम सिंह ने फीका जश्न बताया
धामी सरकार के 3 वर्ष के कार्यकाल को कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने फीका जश्न बताया. उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने भाजपा को प्रदेश की बागडोर इसलिए सौंपी थी कि उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा जनता से किए वादों को पूरा करेगी. लेकिन लोग आज निराश हैं. राज्य में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई चरम पर है.
महंगाई से आम आदमी का जीना दुभर हो गया है. लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को महंगाई नजर नहीं आ रही है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली भाजपा के मंत्री पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे. लेकिन भाजपा ने कोई कार्रवाई नहीं की जिसका लाभ भ्रष्टाचार में डूबे मंत्री ने उठाया. प्रीतम सिंह ने कहा कि आम आदमी आज कष्ट में हैं. कहने को तो भाजपा अपने शासनकाल को राम राज्य बताती है. लेकिन इस राम राज्य में खुली लूट हो रही है और हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. आज महिला अपराधों में अधिकतर लोग भाजपा के हैं. कानून व्यवस्था बदहाल है.
भाजपा ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. लेकिन किसान आज सड़कों पर हैं. बल्कि 8 वर्ष के कार्यकाल में सरकारों ने एक दूसरे के विपरीत आचरण किया. एक मुख्यमंत्री ने दूसरे मुख्यमंत्री के फैसले को पलटने का काम किया और अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री के फैसलों को उलट पलट करने का काम किया गया. प्रीतम सिंह ने कहा कि इन तीन वर्षों में वादों के विपरीत सरकार ने आचरण किया है.