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उत्तराखंड में सामने आया एक और घोटाला, इको टूरिज्म के नाम पर 1.63 करोड़ रुपये का घालमेल
देहरादून: वन विभाग में कार्बेट की तरह ही एक बड़ा घोटाला सामने आया है। मुनस्यारी में इको हट निर्माण में भारी अनियमितता और धन के दुरुपयोग की बात सामने आई है।
इस घोटाले में वरिष्ठ आइएफएस अधिकारी डा. विनय भार्गव का नाम सामने आया है, जोकि एक मंत्री के दामाद बताए जा रहे हैं। विभाग ने पूरे घपले की जांच रिपोर्ट शासन को भेजते हुए सीबीआइ व ईडी से जांच की सिफारिश की है वहीं शासन ने 15 दिन में उनसे जवाब मांगा है।
पिथौरागढ़ जिले में पड़ते मुनस्यारी में इको टूरिज्म के नाम पर 1.63 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। घाेटाले में 2019 में प्रभागीय वनाधिकारी पिथौरागढ़ और वर्तमान में पश्चिमी वृत्त हल्द्वानी के वन संरक्षक डा. विनय कुमार भार्गव का नाम सामने आया है।
उन पर वित्तीय अनियमितताओं, निर्माण में नियमों की अवहेलना और बिना टेंडर निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। शासन ने उन्हें स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि समय पर उत्तर नहीं दिया गया तो अग्रिम अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
घोटाला सामने आने पर प्रकरण की विस्तृत जांच वरिष्ठ आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच की।
उन्होंने 700 पृष्ठों की रिपोर्ट दो चरणों में तैयार कर दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हाफ) को सौंपी। मार्च 2025 में यह रिपोर्ट शासन को भेजी गई, जिसे मुख्यमंत्री ने जून 2025 में अनुमोदित किया। रिपोर्ट में सीबीआइ और ईडी जांच की सिफारिश की गई है, साथ ही मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के अंतर्गत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की अनुशंसा की गई है।
भार्गव पर पूर्व में भी लग चुके हैँ आरोपित
वर्ष 2015 में जब डा. भार्गव नरेंद्रनगर के डीएफओ थे, तब भी उन पर वानिकी कार्यों में भारी वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे थे, लेकिन उन्हें अनुभव की कमी के आधार पर दोषमुक्त कर दिया गया। लगातार मलाईदार (प्रभावशाली) पदों पर बने रहने और राजनीतिक संरक्षण मिलने की चर्चाएं वर्षों से चल रही हैं।
सूत्रों की मानें तो उनकी शादी एक कैबिनेट मंत्री की भतीजी से हुई है, जो उनके प्रभाव का प्रमुख कारण माना जा रहा है। विभागीय सूत्रों की मानें तो फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने भी इन इको हट्स में ठहरने की बात स्वीकार की है। इको हट्स से जुड़ी निजी संस्था का चार वर्ष का आडिट (2020–21 से 2023–24) जैसलमेर की एक फर्म से कराया गया, जोकि मुनस्यारी से हजारों किलोमीटर दूर है। यह प्रक्रिया भी जांच के घेरे में है।
घपलेबाजी में यह हैं प्रमुख आरोप
- वर्ष 2019 में मुनस्यारी रेंज के आरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति इन संरचनाओं का निर्माण कराया गया
डोरमेट्री, वन कुटीर उत्पाद विक्रय केंद्र, 10 वीआईपी इको हट्स व ग्रोथ सेंटर का निर्माण।
- बिना टेंडर करोड़ों की निर्माण सामग्री की खरीद
किसी भी सार्वजनिक टेंडर प्रक्रिया का पालन किए बिना एक निजी संस्था को ठेका दिया गया और एकमुश्त भुगतान किया गया। इससे शासन की वित्तीय पारदर्शिता नीति की धज्जियां उड़ाईं गईं।
- अवैध एमओयू से 70 पर्यटन आय हस्तांतरण
ईडीसी पातलथौड़, मुनस्यारी के साथ बिना सक्षम अनुमोदन के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत ईको हट्स की आय का 70 प्रतिशत हिस्सा निजी संस्था को दे दिया गया। बताया जा रहा है कि यह कंपनी किसी विधायक की है।
- वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन
सीमेंट-मोर्टार से बने ये ढांचे पूरी तरह स्थायी प्रकृति के हैं। निर्माण से पूर्व केंद्र सरकार से धारा-दो के अंतर्गत आवश्यक स्वीकृति नहीं ली गई।
- फायरलाइन खर्च में फर्जीवाड़ा
जहां कार्य योजना में केवल 14.6 किमी फायरलाइन दर्ज है, वहां 90 किमी फायरलाइन दर्शाकर 2 लाख रुपये का व्यय दिखाया गया।