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महिला आयोग के बाद दून पुलिस ने NARI 2025 रिपोर्ट को नकारा, गिनाए महिला सुरक्षा से जुड़े इंतजाम

By on September 3, 2025 0 13 Views

देहरादून: नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वूमेन सेफ्टी (NARI 2025) में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया है. रिपोर्ट के बाद देहरादून पुलिस की ओर से एसएसपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि राज्य महिला आयोग ने स्पष्ट किया है कि सर्वेक्षण न तो राष्ट्रीय महिला आयोग या राज्य महिला आयोग द्वारा कराया गया है और न ही किसी अन्य सरकारी सर्वेक्षण संस्थान द्वारा किया गया है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने संबंध में आयोग स्तर से किसी भी प्रकार का सर्वेक्षण कराए जाने का खंडन किया है. साथ ही रिर्पोट को निजी सर्वे कंपनी द्वारा स्वंतत्र रूप से तैयार किया जाना बताया गया है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के अनुसार, यह पहल पूरी तरह से एक स्वतंत्र कार्य है, जो अपराध के आंकड़ों के आधार पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत धारणाओं पर भी आधारित है.

सर्वेक्षण रिपोर्ट के अध्ययन से स्पष्ट है कि सर्वेक्षण देश के 31 शहरों में किया गया है, जो कंप्यूटर एसीटेट टेलीफोनिक इंटरव्यू (CATI) और कंप्यूटर एसीटेट पर्सनल इंटरव्यू (CAPI) पर आधारित है. यानी सर्वेक्षण कंपनी द्वारा महिलाओं से आमने-सामने सीधा संवाद नहीं किया गया. मात्र 12 हजार 770 महिलाओं से टेलीफोन बातचीत के आधार पर रिर्पोट को तैयार किया गया है. देहरादून में महिलाओं की लगभग 9 लाख की आबादी के मुकाबले केवल 400 महिलाओं के सैंपल साइज के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक कनेक्ट करके निष्कर्ष निकाला जाना प्रतीत होता है.

रिपोर्ट के अनुसार, मात्र 4 प्रतिशत महिलाओं द्वारा एप और तकनीकी सुविधाओं को उपयोग किया जा रहा है. जबकि महिला सुरक्षा के लिए विकसित गौरा शक्ति एप में महिलाओं के 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं. जिसमें से 16 हजार 649 रजिस्ट्रेशन मात्र देहरादून जिले के ही हैं. साथ ही डायल 112, उत्तराखंड पुलिस एप, सीएम हेल्पलाइन, उत्तराखंड पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से प्रयोग किया जा रहा है. स्पष्ट है कि सर्वेक्षण रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है.

देहरादून पुलिस ने दोनों बिन्दुओं पर दिया जवाब: सर्वेक्षण के मानकों में पुलिस से संबंधित 2 बिन्दु है. पहला- पुलिस पेट्रोलिंग और दूसरा क्राइम रेट. पुलिस पेट्रोलिंग में सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है. जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है. स्पष्ट है कि देहरादून पुलिस पेट्रोलिंग के आधार पर सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा से भी ऊपर है. हैरेसमेंट एट पब्लिक प्लेस शीर्षक में पूरे देश का स्कोर 7 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का 6 प्रतिशत है. स्पष्ट है कि देहरादून में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अन्य शहरों की तुलना में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं. हाई क्राइम रेट शीर्षक में देहरादून का स्कोर 18 प्रतिशत बताया गया है, जो तथ्यों पर आधारित नहीं है.

जनता के सामने रखा पूरा डाटा: माह अगस्त में जिला देहरादून में डायल 112 के माध्यम से कुल 12 हजार 354 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से मात्र 2287 (18 प्रतिशत) शिकायतें महिलाओं से संबंधित हैं. 2287 शिकायतों में से भी 1664 शिकायत घरेलू झगड़े से संबंधित है. बाकी 623 शिकायतों में से भी मात्र 11 शिकायतें यौन शोषण और छेड़खानी से संबंधित हैं. स्पष्ट है कि महिला संबंधी कुल शिकायतों में से छेड़छाड़ की शिकायतों का औसत 1 प्रतिशत से भी कम है. शिकायतों में पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम 13.33 मिनट है. यानी महिला संबंधी अपराधों के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता प्राथमिकता पर है.

वर्तमान में देहरादून में बाहरी प्रदेशों के लगभग 70 हजार छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें से 43 फीसदी संख्या छात्राओं की है. उक्त छात्र छात्राओं में काफी संख्या में विदेशी छात्र छात्राएं भी अध्ययनरत हैं. छात्र छात्राओं द्वारा सुरक्षित परिवेश में जिला देहरादून में निवास करते हुए शिक्षा ग्रहण की जा रही है.

महिला सुरक्षा से संबंधित किए जा रहे कार्य: महिला संबंधी शिकायतों की सुनवाई और निराकरण के लिए जिला स्तर पर और प्रत्येक थाना स्तर पर महिला हेल्प लाइन, हेल्प डेस्क स्थापित हैं. उत्तराखंड पुलिस एप में एमरजेंसी स्थिति के लिए एसओएस बटन स्थापित है. साथ ही नगर क्षेत्र में वन स्टाप सेंटर भी संचालित हो रहा है. महिला सुरक्षा के लिए जिले में पुरुष चीता के साथ-साथ 13 गौरा चीता भी चल रही है. जिनमें प्रशिक्षित महिला पुलिसकर्मियों को ही नियुक्त किया गया है. साथ ही ऐसे भीड़ भाड़ वाले स्थान, जहां महिलाओं का आवागमन ज्यादा है, वहां पिंक बूथ स्थापित किए गए हैं और एकीकृत सीसीटीवी सिस्टम भी स्थापित किया गया है. जिसका कंट्रोल रूम, संबंधित थाने को बनाया गया है. समय-समय पर महिलाओं के लिए आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं. साथ ही साथ जिले में स्थित शैक्षणिक संस्थानों और ऐसे कार्यस्थल जहां महिलाएं कार्यरत हैं, में जिला पुलिस द्वारा लगातार महिला सुरक्षा संबंधी शिविर आयोजित किए जा रहे हैं.

शत-प्रतिशत घटनाओं का खुलासा: महिलाओं को उनके साथ होने वाले अपराधों के प्रति संवेदित किया जा रहा है. अपराधों की सूचना देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. महिला अपराधों को तत्काल दर्ज करते हुए जल्द निस्तारण करने के लिए सभी थानों को निर्देशित किया गया है. साल 2025 में बलात्कार, स्नेचिंग जैसी सभी घटनाओं का शत प्रतिशत खुलासा किया गया है.

देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी के एकीकृत कंट्रोल रूम के 536, पुलिस कंट्रोल रूम के 216 सीसीटीवी कैमरों के साथ लगभग 14 हजार सीसीटीवी कैमरे कार्यशील हैं. जिनकी सहायता से पुलिस द्वारा निरंतर अपराध और अपराधियों पर सतर्क नजर रखी जा रही है. सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है,

सर्वे पर सवाल: तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि एक निजी कंपनी के स्वंतत्र रूप से महिला सुरक्षा संबंधित सर्वे के आधार पर देहरादून शहर को देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में रखा जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है. सर्वेक्षण में किन लोगों को शामिल किया गया? यह स्पष्ट नहीं है. सर्वेक्षण में भाग लेने वालों की आयु, शिक्षा, रोजगार स्थिति के संबंध में स्पष्टता नहीं है. प्रतिभागी स्थानीय निवासी थे या पर्यटक यह भी स्पष्ट नहीं है. क्योंकि सुरक्षा की धारणा आयु और जीवनशैली के आधार पर अलग-अलग होती है. जहां किशोरियां एक ओर रात में असुरक्षित महसूस कर सकती हैं. वहीं कामकाजी महिलांए अलग अनुभव रख सकती हैं. स्थानीय लोगों की तुलना में बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक शहर से अपरिचित होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में अलग राय रख सकते हैं.

तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित नहीं सर्वे: मुंबई में नाइट लाइफ है. इसलिए रात में स्वतंत्र रूप से घूमना एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है. जबकि दूसरी ओर देहरादून एक शांत शहर है. यहां यह पैरामीटर प्रासंगिक नहीं हो सकता. स्पष्ट है कि सर्वेक्षण में विभिन्न शहरों कि सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधताओं, भिन्नताओं को ध्यान में नहीं रखा गया है. प्रत्येक शहर के लिए एक जैसा सैंपल साइज रखना भी प्रासंगिक नहीं हो सकता, क्योंकि देहरादून की महिला आबादी के मात्र 0.04 प्रतिशत लोगों की राय को संपूर्ण देहरादून की राय मानकर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है. देहरादून का एनसीआरबी का डेटा दिखाता है कि देहरादून में अपराध दर मैट्रो शहरों से कम है. स्पष्ट है कि सर्वे मात्र अवधारणाओं पर आधारित है, न कि वास्तविक तथ्यों और आंकड़ों पर है.

एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि देहरादून शहर हमेशा से सुरक्षित शहरों में गिना जाता है. यही कारण है कि देहरादून में प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्थानों के साथ-साथ ख्याति प्राप्त शैक्षणिक संस्थान भी स्थित हैं. जिनमें देश विदेश के छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं. देहरादून में अनेकों पर्यटक स्थल भी स्थित हैं, जिसमें वर्ष भर भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन बना रहता है. छात्र छात्राओं और पर्यटकों की निरंतर बढ़ती संख्या स्वयं में इस बात का प्रमाण है कि देहरादून शहर आम जनमानस और बाहरी प्रदेशों से आने वाले लोगों, पर्यटकों, छात्र-छात्राओं के लिए कितना सुरक्षित है. साथ ही हम सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं. लेकिन नीतिगत निर्णयों के लिए यह आवश्यक है कि सर्वे की पद्धति मजबूत हो.