
उत्तराखंड में पर्यावरण पर होगी क्लोज मॉनिटरिंग, हर जिले में तैयार होगा खास सिस्टम
देहरादून: उत्तराखंड में समय के साथ वाहनों की संख्या बढ़ी और पर्यावरण संकट की स्थिति भी खड़ी हुई, लेकिन इसके बावजूद पर्यावरण संरक्षण और निगरानी की जिम्मेदारी रखने वाले बोर्ड को अपडेट नहीं किया गया. शायद यही कारण रहा कि पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े जरूरी नियमों का पालन पूरी तरह से करवाना मुश्किल हो गया. इसी बात को समझते हुए अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय को जिला स्तर पर बनाने का फैसला लिया गया है.
उत्तराखंड में अब पर्यावरण प्रदूषण को लेकर कड़ी निगरानी का सिस्टम तैयार हो सकेगा. हालांकि, ऐसा करने में राज्य को 25 साल लग गए. लेकिन अब पर्यावरण प्रदूषण करने वालों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए नया सिस्टम तैयार करने का फैसला कर लिया गया है. इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिला स्तर पर क्षेत्रीय कार्यालय खोलने का फैसला हुआ है, जिसे बोर्ड में पास भी कर लिया गया है.
राज्य में अभी देहरादून से ही गढ़वाल क्षेत्र के तमाम जिलों को देखा जा रहा था. इसी तरह कुमाऊं क्षेत्र में हल्द्वानी क्षेत्रीय कार्यालय ही तमाम जिलों की निगरानी के लिए जिम्मेदार बनाया गया था. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब जिला स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय खोलने का फैसला हुआ है. यानी अब हर जिले में प्रदूषण प्रदूषण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय होगा. जहां कर्मचारियों की तैनाती हो सकेगी. यह नई व्यवस्था अब जिलों में पर्यावरण प्रदूषण के मामलों को बारीकी से देखने के लिए मददगार होगी.
फिलहाल प्रदूषण प्रदूषण बोर्ड के सामने सीमित कर्मचारियों और क्षेत्रीय कार्यालय में ही पूरे प्रदेश को देखने की चुनौती होती है. औद्योगिक अपशिष्ट पर निगरानी रखने से लेकर पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते मामलों को देखना भी काफी मुश्किल होता है. इतना ही नहीं, जल प्रदूषण की स्थिति भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से देखी जाती है. इस तरह काम ज्यादा और संसाधन कम जैसी स्थितियां बनी रहती है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते बताते हैं कि अब बोर्ड सभी जिलों में क्षेत्रीय कार्यालय खोलने जा रहा है और इसके बाद प्रदूषण को लेकर निगरानी करनी काफी आसान होगी. वह बताते हैं कि अभी फिलहाल देहरादून से पूरा गढ़वाल और हल्द्वानी से पूरे कुमाऊं पर निगरानी रखना काफी मुश्किल होता है.
नए कार्यालय खुलने के बाद खास तौर पर पर्वतीय जिलों में पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े मामलों की निगरानी रखना आसान होगा. वहीं मैदानी जिलों में भी कर्मचारियों अधिकारियों पर काम का बोझ कम होगा. माना जा रहा है कि जल्द ही सभी जिलों में कार्यालय काम करने लगेंगे और पर्यावरण प्रदूषण से जुड़े मामलों की निगरानी के लिए क्षेत्रीय कार्यालय में आधुनिक सिस्टम के साथ काम किया जा सकेगा, जिससे ऐसे मामलों पर नियंत्रण रखना आसान होगा.