सेवानिवृत सीओ समेत पांच पुलिसकर्मियों के कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हुए।
बुलंदशहर। 19 साल पहले पूर्व बीटेक छात्र को फर्जी मुठभेड़ मामले मे शामिल तत्कालीन पुलिसकर्मियों पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो गया था। इस मामले में वांछित चल रहे सेवानिवृत सीओ समेत पांच पुलिसकर्मियों के कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं। इनमें शामिल एक सिपाही ने शनिवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जबकि बाकी की तलाश जारी है। तीन अगस्त 2002 की रात करीब नौ बजे सिकंदराबाद-बुलंदशहर मार्ग स्थित बिलसूरी के पास बदमाशों ने रोडवेज बस में लूटपाट की थी। विरोध करने पर बस के परिचालक को गोली मारकर घायल कर दिया था। पुलिस ने बस की घेराबंदी कर एक बदमाश को मुठभेड़ में मार दिया था। मृतक की पहचान सिकंदराबाद क्षेत्र के ही गांव शहपानी निवासी प्रदीप पुत्र यशपाल के रूप में हुई। प्रदीप बीटेक का छात्र था, जो गाजियाबाद जिले से अपने कालेज में फीस जमा कराने के बाद बस से घर लौट रहा था। मृतक के पिता यशपाल ने बेटे की हत्या का आरोप लगाते हुए मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के लिए शासन प्रशासन से शिकायत कर मांग की थी।
बकौल यशपाल, शासन ने सीबीसीआइडी को जांच सौंप दी। जांच के बाद सीजेएम कोर्ट बुलंदशहर ने मामले को संज्ञान में लिया था। कोर्ट ने मुठभेड़ को फर्जी मान छह पुलिसकर्मी समेत आठ के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद वर्ष 2018 में कांस्टेबल तोता राम, रघुराज, श्रीपाल, 2019 सतेंद्र ने सरेंडर किया था, जो जमानत पर बाहर हैैं। 20 सितंबर वर्ष 2021 को एक अन्य सिपाही और 22 सितंबर को पुलिसकर्मी संजीव ने सरेंडर किया था। शनिवार गांव एलम थाना कांधला जनपद शामली जितेन्द्र पुत्र ओमकार ने शनिवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया, सेवानिवृत सीओ रणधीर सिंह निवासी गांव बांस सुजान थाना कागारौल जनपद आगरा, हाल निवास अंसल अवंतिका, थाना कविनगर गाजियाबाद समेत चार पुलिसकर्मी फरार हैं। सीओ नम्रता श्रीवास्तव ने बताया कि वांछित सीओ के मकान पर धारा 82 के तहत कोर्ट में हाजिर होने का नोटिस चस्पा किया गया है। इसके बाद कुर्की की कार्रवाई अमल मे लायी जाएगी

