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भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत अपराध साबित करने के लिए रिश्वत का सबूत जरूरी – सुप्रीम कोर्ट

By on February 23, 2022 0 231 Views

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एक सरकारी कर्मचारी की ओर से रिश्वत की मांग और अधिकारी द्वारा इसे स्वीकार करने का सबूत भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के प्रावधान के तहत अपराध स्थापित करने के लिए आवश्यक है।, जो सरकारी कर्मचारियों के अवैध रूप से रिश्वत लेने से संबंधित है।

भ्रष्टाचार की रोकथाम (पीसी) अधिनियम की धारा सात रिश्वत लेने वाले सरकारी कर्मचारियों की ओर से किए गए अपराधों को संबोधित करने के लिए है।  न्यायाधीश अजय रस्तोगी और अभय एस ओका की पीठ ने तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने एक महिला सरकारी कर्मचारी को पीसी अधिनियम की धारा सात के तहत कथित अपराध के लिए दोषी ठहराया था। यह महिला सिकंदराबाद में वाणिज्यिक कर अधिकारी थी।

पीठ ने अपने 17 पृष्ठ के फैसले में कहा कि एक लोक सेवक की ओर से रिश्वत की मांग का सबूत और उसकी स्वीकृति पीसी अधिनियम की धारा सात के तहत अपराध स्थापित करने के लिए अनिवार्य है।  सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली आरोपी की ओर से दर्ज की गई याचिका पर सुनाया। पीठ ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता की रिश्वत की मांग को लेकर अपीलकर्ता के सबूत बिल्कुल भरोसे के योग्य नहीं हैं। ऐसे में महिला को सभी आरोपों से मुक्त किया जाता है।