प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा बनेगा नजीर! बयानों के बाउंसर्स पर लगेंगे ब्रेक, क्या बाज आएंगे नेता?
देहरादून: अपने विवादित बयान के कारण आखिरकार प्रेमचंद अग्रवाल को कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा ही देना पड़ा. राज्यपाल गुरमीत सिंह ने भी प्रेमचंद अग्रवाल को इस्तीफा मंजूर कर लिया है. प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे को जहां एक तरफ कुछ लोग सही बता रहे है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया. डोईवाला में तो व्यापारियों ने प्रेमचंद अग्रवाल के समर्थन में बाजार भी बंद किया था.
वहीं अगर अब भी ये मसला खत्म नहीं होता है तो भविष्य के लिए इसे अच्छा नहीं माना जा रहा है. बीजेपी विधायक विनोद चमोली ने इस मसले को नेताओं के लिए एक बड़ा सबक बता रहे हैं. उत्तराखंड की राजनीति में समय-समय पर कुछ ऐसे मुद्दे हावी हो जाते हैं जो लंबे समय तक जीवित रहते है. ऐसा ही एक मुद्दा विधानसभा बजट सत्र के दौरान उपजा जो अभी भी प्रदेश की राजनीति में देखा जा रहा है.
एक बयान में छीन लिया मंत्री पद
दरअसल, विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन के भीतर तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जिससे पर्वतीय समाज के लोग आहत हो गए और यही बयान प्रेमचंद अग्रवाल पर भारी पड़ गया. करीब 25 दिन बाद भी जब मामला शांत नहीं हुआ तो प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
इस्तीफा देने के बावजूद भी यह मामला अभी भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बना हुआ है. कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के कारण उत्तराखंड जैसे नए राज्य में पहाड़ी और मैदानी का जो विवाद खड़ा हुआ है, वो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह की छोटी सोच प्रगति करने वाले राज्य के लिए ठीक नहीं है.
इस पूरे प्रकरण के लिए पहला दोषी रूलिंग पार्टी को ही माना जाएगा, क्योंकि उन्होंने फैसला लेने में काफी समय लिया. ऐसे में अब भाजपा को चाहिए कि इस प्रकरण को जल्द से जल्द दबाया जाए और इस बात पर जोर दिया जाए कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में पहाड़ और मैदान वाद न चले.
–जय सिंह रावत, राजनीतिक जानकार-
कांग्रेस का बयान: कांग्रेस भी अब इस मुद्दे को ज्यादा तूल न देने की बात कह रही है. उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की माने तो यह प्रकरण प्रदेश में और अधिक आगे बढ़ेगा, क्योंकि इस प्रकरण को भाजपा पोषित कर रही है. मंत्री के इस्तीफे के साथ ही भाजपा ने ये शिगूफा छोड़ दिया है कि यह प्रकरण और आगे बढ़ेगा.
राज्य की सेहत के लिए हर वो मुद्दा खतरनाक है जो जनता में विभाजन पैदा करता है. क्योंकि ऐसे प्रकरण किसी भी समाज के लिए हितकारक नहीं हो सकता है. ऐसे में इस मुद्दे को यही समाप्त करने की जरूरत है.
–सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस-
विरोध दल तलाश रहे राजनीति का रास्ता: बीजेपी नेता का कहना है कि प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब इस मुद्दे को ज्यादा नहीं उठाना चाहिए. हालांकि, ये उस तरह का विवाद नहीं है, जिस तरह का विवाद बनाया जा रहा है. लेकिन विरोधी दल अब इसमें राजनीति का रास्ता तलाश रहे है.
लोग प्रेमचंद अग्रवाल के बयान का विरोध कर रहे हैं, जो उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कहीं है, न की पार्टी ने कही है. ऐसे ने प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा देकर पार्टी को बचाया है. यह पूरा प्रकरण सभी राजनेताओं के लिए एक सबक होगा कि एक छोटी सी बात कहने से बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. लिहाजा, लोग इस मामले से सबक लेते हुए भविष्य में अपना आचरण ठीक रखेंगे.
– विनोद चमोली, बीजेपी विधायक-

