
उत्तराखंड रजत जयंती, विधानसभा के विशेष सत्र पर बोले हरीश रावत, सरकार ने एक गलती फिर से दोहरा दी
देहरादून: 9 नवंबर 2025 को उत्तराखंड स्थापना दिवस के 25 साल पूरे होने जा रहे है. उत्तराखंड स्थापना दिवस के 25 वें साल को राज्य सरकार रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाने जा रही है. इस मौके पर तीन और चार नवंबर को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र भी बुलाया गया है, जो देहरादून विधानसभा भवन में आयोजित किया जाएगा. इस सत्र को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संबोधित कर सकती है. वहीं इस मौके पर उत्तराखंड पूर्व सीएम हरीश रावत का भी बड़ा बयान आया है और उन्होंने फिर से सरकार को गैरसैंण की याद दिलाई है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि इन 25 वर्षों में हुई उपलब्धियों के साथ-साथ कमजोरियों के भी विवेचन करने का समय आ गया है. हरीश रावत ने कहा कि विशेष सत्र आयोजित होना ही चाहिए. राज्य गठन के इन 25 सालों में हुई उपलब्धियों को याद करने समय है. उसके साथ जहां जहां खामियां रह गई हैं, उन खामियों के भी विहंगम विवेचन की जरूरत है. अगर राज्य रजत जयंती वर्ष से स्वर्णिम वर्ष की तरफ अग्रसर हो रहा है, तो फिर यह समय 26 वें वर्ष में प्रवेश करने से पहले गलतियों और हुई चूकों पर विचार विमर्श करने का भी है.
हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा का रजत जयंती सत्र दो दिन की जगह चार दिन का होना चाहिए. लेकिन इस बार फिर धामी सरकार ने एक गलती फिर से दोहरा दी है. धामी सरकार को इस गलती को सुधारने का एक अवसर था. सरकार भले ही कितने दिन का सत्र चलाये, किंतु देहरादून की जगह रजत जयंती सत्र भराड़ीसैंण में आयोजित होना चाहिए था. हिमालय की तंग श्रृंखलाओं का जब देश की राष्ट्रपति अभिवादन करतीं और हिमालय का यह राष्ट्रीय अभिवादन अगर हमारी धरती पर होता, तो कितनी बड़ी बात होती. लेकिन धामी सरकार ने भराड़ीसैंण में सत्र आयोजित नहीं कराकर एक बार फिर से चूक कर दी है.
हरीश रावत ने सरकार को सुझाव दिया है कि अगर सरकार संशोधित कर सकती है तो रजत जयंती सत्र को देहरादून की बजाय भराड़ीसैंण मे आयोजित कराये, और वहां राष्ट्रपति को आमंत्रित करे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार के समय वहां हेलीकॉप्टरों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए उपयुक्त हेलीपैड भी बनवाया हुआ है. जब हिमालय के आलोक में राष्ट्रपति सत्र को संबोधित करतीं, तो इससे हिमालय की गरिमा बढ़ती, यही हिमालय भारत की गरिमा का प्रतीक भी रहा है.