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सीएम फेस पर कटघरे में AAP: पंजाब मे जनता से पूछकर लिया सीएम फेस पर फैसला, उत्तराखंड मे हड़प लिया आवाम से अधिकार
देहरादून: आम आदमी पार्टी उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, “मुफ्त ” से मतदाताओं को रिझाने में लगी है। तीनों सूबों के लिए सीएम फेस सामने ला चुकी है लेकिन देखा जाए तो सीएम फेस के मामले आम आदमी पार्टी की पॉलिसी पब्लिक को हज़म नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री उम्मीदवारों की बात करें तो पार्टी ने पंजाब के लिए भगवंत मान को सीएम फेस बनाया है जबकि गोवा में ताकतवर भंडारी समाज को साधने के लिए अमित पालेकर और उत्तराखंड में फौजी वोट की खतिर कर्नल अजय कोठीयाल को सीएम उम्मीदवार घोषित किया है । सियासी गलियारों में चर्चा इसी बात को लेकर है कि, क्या AAP के लिए पंजाब ,गोवा और उत्तराखंड के लिए अलग अलग मानक हैं? पार्टी के दावों के मुताबिक तो उसने बकायदा जनता की पसंद और राय को तरजीह देकर भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है , जबकि गोवा में सत्ता तक पहुंचाने में अहम किरदार अदा करने वाले समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पालेकर को भी महज सत्ता स्वार्थ के लिए बगैर जन-राय के सीएम फेस बनाया । वहीं उत्तराखंड में भी पार्टी ने बिना किसी से पूछे अजय कोठियाल के नाम का ऐलान कर दिया तो सवाल तो उठना लाजिमी है कि जब सीएम चेहरे के लिए पंजाब में लोगों से पूछकर फैसला लिया गया तो उत्तराखंड में इस पॉलिसी का पालन क्यों नहीं किया गया।
AAP ने जनता से जाना था किसे बनाएं पंजाब का सीएम फेस ?
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले एक मोबाइल नंबर जारी करके पंजाब के लोगों से पूछा कि विधानसभा चुनाव में किसको मुख्यमंत्री का फेस बनाया जाए। पंजाब AAP के वरिष्ठ नेता चीमा के दावे के मुताबिक ‘इस नंबर पर 72 घंटे में साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोगों ने व्हाट्सएप, 7 लाख के करीब लोगों ने कॉल और डेढ़ लाख लोगों ने वॉइस मैसेज और डेढ़ लाख लोगों ने टेक्स्ट मैसेज के जरिए अपनी राय देकर भगवंत मान को सीएम फेस बनाए जाने की पैरवी की थी।
बंद कमरे में हो गया उत्तराखंड सीएम फेस का फैसला !
केजरीवाल के उत्तराखंड मे सीएम फेस के फैसले पर सवाल खड़ा होना लाज़मी है कि जब पंजाब में जनता की राय से फैसला हुआ तो उत्तराखंड में बगैर आम जनता की राय के आम आदमी पार्टी ने क्यों रिटायर कर्नल अजय कोठियाल को सीएम का दावेदार बनाया ? यहां क्यों नहीं उत्तराखंड के लोगों से पूछा गया कि वो किसे ‘आम आदमी पार्टी की ओर से सीएम फेस बनता देखना चाहते हैं ? यहाँ तो सीएम चेहरा बंद कमरे में तय कर थोप दिया गया जबकि पंजाब में जनता की पसंद को तरजीह दी गई , उत्तराखंड के साथ ऐसा भेदभाव और सौतेला व्यवहार क्यों किया गया? क्या आम आदमी पार्टी उत्तराखंड मे महज चुनाव की रस्मअदायगी के लिए आई है? अगर ऐसा नहीं है और वाकई AAP उत्तराखंड को लेकर संजीदा है तो उसने यहां भी जनता की राय जानने की कोशिश क्यों नहीं की, जैसा उसने पंजाब में किया। क्या आम आदमी पार्टी को लगा कि पंजाब की जनता जागरूक है और उत्तराखंड की नहीं। AAP का देवभूमि की जनता को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है।
एग्जिट पोल्स में पस्त AAP
विभिन्न चैनल्स के एग्जिट पोल्स के नतीजे दिखा रहे हैं कि उत्तराखंड की जनता को हल्के में लेना आम आदमी पार्टी को भारी पड़ने वाला है, इनके मुताबिक AAP महज 2 से 3 सीट तक सिमट रही हैं यानि इसका मुकाबला उत्तराखंड की क्षेत्रीय पार्टी UKD से होता दिख रहा है , आप और यूकेडी की चुनावी तैयारियों की तुलना करें तो साफ है कि जहां केजरीवाल की पार्टी सूबे में एक साल से ज्यादा वक्त से पूरे संसाधनों के साथ तैयारी में थी तो वहीं उत्तराखंड क्रांति दल के पास aap के मुक़ाबले 10 प्रतिशत भी संसाधन नहीं हैं और चुनावी तैयारियों के मामले में तो वो “आप” के मुकाबले में कहीं नहीं टिकती , ऐसे में आम आदमी पार्टी का सिर्फ यूकेडी से मुकाबले में सिमट कर रह जाना यही साबित कर रहा है कि सीएम फेस के मामले में देवभूमि की जनता यह जान चुकी है कि “आप ” ने उसकी पसंद-नापसंद जानने के बदले सिर्फ अपनी पसंद लादने की कोशिशें की जो उसे पसंद नहीं आई। खैर पंजाब में सीएम चेहरे के लिए जनता की पसंद को पार्टी की पसंद बनाना और उत्तराखंड में अपनी मर्जी से सीएम फेस का ऐलान कर जनता पर थोप देना, आप की यह रणनीति समझ से परे है। कुलमिलाकर AAP ने उत्तराखंड के लोगों से सीएम उम्मीदवार का चयन करते वक्त पूछना गंवारा नहीं समझा।

