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महावीर सिंह रांगड़ ने सुखा दिया प्रीतम सिंह पँवार का हलक, क्या बीजेपी से टिकट लेकर ठगे गये प्रीतम ?
मसूरी: धनोल्टी पूर्व विधायक महाबीर सिह रांगड़ के नामांकन के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया हैं । BJP ने रांगड़ का टिकट काट कर एक बड़ी मुसीबत मोल ले ली हैं। गौर तलब हैं कि महाबीर रांगड़ का टिकट 2017 सीटिंग विधायक होते हुए भी काट दिया गया था। और पूर्व खेल मंत्री नारायण सिंह राणा जो कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समधी हैं उन्हें धनोल्टी में बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन मोदी लहर के होते हुए भी राणा चुनाव हार गए औऱ निर्दलीय प्रीतम पँवार चुनाव जीत गए और उत्तराखण्ड में बीजेपी प्रचण्ड बहुमत से सत्ता में काबिज हो गई अब भी बीजेपी को प्रीतम की जरूरत ही पड़ी। पूर्व में प्रीतम बहुगुणा और औऱ हरीश रावत की सरकार में शहरी विकास औऱ पशुपालन जैसे भारी भरकम मंत्रालय में रहे लेकिन सत्ता की हनक भी खूब चली। 2017 में सिर्फ विधायकी से संतुष्ट रहना पड़ा। सरकार से धनोल्टी विधानसभा के लिए कोई बड़ा काम कराने में भी नाकाम रहे। वही रांगड़ ने त्रिवेन्द्र सरकार में गढ़वाल मंडल के अध्यक्ष रहते हुए धनोल्टी विधानसभा सभा की सड़कों की स्वीकृति सहित शिक्षा स्वास्थ्य औऱ ख्यार्शी मेंग्रोथ सेंटर खुलवाकर अपनी चुनावी जमीन को अच्छी तरह से तैयार किया ।
महाबीर रांगड़ धनोल्टी विधान सभा मे एक मझबूत जनाधार वाले नेता है । औऱ संघ के बहुत करीबी रहे उनकी एक अपनी एक अलग छवि हैं लोगो के बीच जौनपुर से लेकर थौलधार सकलाना में भी रांगड़ की मझबूत पकड़ है । औऱ पिछले पांच सालों से वह पार्टी को हर स्तर मजबूत करने में जुटे हुए थे, उन्हें उम्मीद थी कि इस बार भाजपा उनके नाम पर बिचार करेगी औऱ उन्हें इस बार पार्टी प्रत्याशी बनाएगी लेकिन चुनाव से ठीक चार महीने पूर्व प्रीतम ने दिल्ली में बीजेपी का दामन थाम लिया। औऱ टिकट लेने में सफल हो गए ऐसे में रांगड़ के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ने के सिवा कोई विकल्प नही बचा।
दो बार पार्टी द्वारा टिकट काटे जाने से उनके समर्थकों में पार्टी के फ़ैसले से थोड़ी निराशा जरूर हुई पर लोगों का एक अपनापन भी रांगड़ के साथ जुड़ता चला गया। धनोल्टी के बड़े चेहरे जो कि रांगड़ के अलावा टिकट की दौड़ में शामिल थे जिसमें पूर्व खेल मंत्री नारायण सिंह राणा, राजेश नोटियाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा सकलानी, सुभाष रमोला, जो की पार्टी को यह समझाने में लगे हुए थे कि धनोल्टी में पार्टी के भीतर प्रतिभा की कमी नही हैं और पार्टी अपने किसी भी कार्यकर्ता को टिकट देती हैं तो इस बार वह जीतेगा किसी बाहरी ब्यक्ति जो कि न पार्टी की नीति औऱ रीति को समझता है उसे यंहा हमारे ऊपर न थोपा जाय लेकिन शायद उनकी बात को दिल्ली में बैठे लोगों को समझ नही आई या इन सब लोगो को कोई तवज्जो नही दी गई और टिकट प्रीतम सिंह को थमा दिया गया।
प्रीतम टिकट लेने में सफल तो हो गए पर धनोल्टी में बीजेपी दो भागों में बंट गई प्रीतम के सामने भी बड़ी मुश्किल है उनकी अपनी एक टीम हैं। जिन्होंने उन्हें 2017 में जिताकर विधायक बनाया लेकिन उन में से भी कई लोग इस बार साथ मे नही हैं क्योंकि बीच मे इस तरह की खबरे भी आ रही थी प्रीतम वापसी यमुनोत्री विधान सभा से चुनाव की तैयारी कर रहे इस बार वह धनोल्टी में इतने सक्रिय भी नही थे पूरे कोरोना काल मे वह कहीं नही दिखे । जबकि रांगड़ अपनी पूरी टीम के साथ पूरे कोरोना काल मे लोगो की मदद के लिए खुद मैदान डटे रहे । वह गरीब लोगो को हर सम्भव राशन और दवा मास्क सेनिटाइजर लेकर गाव गांव पहुचे । औऱ महामारी के संकट में लोगो के साथ कंधे से कंधा मिला कर उनकी मदद करते नजर आए ।
धनोल्टी में रांगड़ ने मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। औऱ लोगो की सिंपैथी भी इस बार रांगड़ के साथ नजर आ रही हैं टिकट का न मिलना उनके लिए फ़ायदे का सौदा बन गया है । लोग खुद उनके साथ जुड़ कर पार्टी हाई कमान के फैसले को चुनोती देने के लिए उठ खड़े हो गए है। वह जहां भी जिस क्षेत्र में जा रहे हैं लोगो का प्यार औऱ आश्रीवाद उन्हें भरपुर मिल रहा है । रांगड़ के समर्थकों की माने तो धनोल्टी में फिर इतिहास दोहराया जा रहा है पिछली बार भी यंहा से निर्दलीय प्रत्याशी चुनवा जीत था इस बार भी निर्दलीय महाबीर सिंह रांगड़ चुनाव जीत रहे हैं। रांगड़ के समर्थक बीजेपी के प्रीतम सिंह का आंकलन तीसरे नम्बर पर कर रहे है । उनका मानना है प्रीतम पँवार से रांगड़ की टक्कर नहीं बल्कि रांगड़ का मुकाबला कांग्रेस के जोत सिह बिष्ट से है ।
सूत्रों की माने तो प्रीतम के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह हैं कि वह न तो पूरी तरह बीजेपी का जो धनोल्टी में स्थानीय संघठन हैं उस पर भरोसा कर पा रहे न ही उनके समर्थक बीजेपी कार्यकर्ता से तालमेल बैठा पा रहे है। आपस मे संदेह की दृष्टि बनी हुई है । इसलिए बीजेपी संगठन के अलावा प्रीतम ने अपनी कार्यकताओं की एक अलग टीम भी बनाई है जो इन सब पर नजर रख सके। कि कौन क्या कर रहा है भीतर घात की चिंता सबसे ज्यादा अगर किसी को हैं तो धनोल्टी में प्रीतम को हैं । प्रीतम का जो सबसे मजबूत गढ़ था दशज्यूला पटी उस पर भी इस बार बहुत बड़ी सेंधमारी का काम चल रहा है रांगड़ और कांग्रेस औऱ आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अमरेन्द्र बिष्ट लगातार दशज्यूला में सेंधमारी में जुटे हुए है । प्रीतम को खुद उसके गढ़ में घेरने में लगे हुए है वैसे भी इस बार दशज्यूला पट्टी में पिछली बार की तरह प्रीतम के लिए उतनी एकता नजर नही आ रही हैं जितनी 2017 में थी ।
वही काग्रेस प्रत्याशी जोत सिह बिष्ट भी चुनाव में अपना पुरा दमखम लगाए हुए है उनके लिए भी यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। कुल मिला कर दो राष्ट्रीय दलो के साथ साथ रांगड़ ने धनोल्टी के दंगल को त्रिकोण दे कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया । सबसे ज्यादा घामासान इस बार धनोल्टी में देखने को मिल रहा है।

