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उत्तराखंड में नए साल में लागू हो सकता है यूसीसी, 22 जनवरी के बाद आयोजित होगा विशेष सत्र

By on December 13, 2023 0 645 Views

देहरादून: उत्तराखंड में नए साल में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो सकता है। 22 जनवरी के बाद प्रदेश सरकार कभी भी विधानसभा का विशेष सत्र आहूत कर सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर जल्द यूसीसी लागू करने के संकेत दिए हैं। माना जा रहा है कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होना है। इस राम भक्ति के बीच मुख्यमंत्री धामी यूसीसी लागू करने की कवायद शुरू कर देंगे।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति नए साल में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। विशेषज्ञ समिति ने पहले ही ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार होने के संकेत दिए हैं। जनवरी महीने के तीसरे हफ्ते में समिति का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि विस का विशेष सत्र 27 जनवरी से पांच फरवरी के बीच हो सकता है। लेकिन सबकुछ तात्कालिक राजनीतिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करेगा।

लोस चुनाव से पहले पूरा करेंगे विस चुनाव का वादा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की जनता से प्रदेश में यूसीसी लागू करने का वादा किया था। सत्ता की बागडोर हाथों में थामने के बाद अपनी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में धामी ने सबसे पहला फैसला यूसीसी को लेकर किया। 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति बनी थी। सरकार ने समिति का कई बार कार्यकाल बढ़ाया। अब 27 जनवरी को समिति का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री प्रदेश में यूसीसी लागू करने का वादा पूरा सकते हैं।

नए साल में सीएम दे सकते हैं ये तीन बड़े तोहफे

लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री राज्य आंदोलनकारियों, पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं को तोहफे दे सकते हैं। इनमें मंत्रिमंडल विस्तार, दायित्वों का आवंटन और राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों के लिए सरकारी सेवा में प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का मसला है। पार्टी के कई वरिष्ठ विधायकों की मंत्रिमंडल में खाली पड़ी चार सीटों पर नजर है। वे लोस चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद लगाए बैठे हैं। भाजपा नेतृत्व भी इसका संकेत दे चुका है। दायित्वों के आवंटन पर भी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की नजर लगी है। राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के मसले पर प्रवर समिति अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंप जा चुकी है। अब विधानसभा सत्र आहूत होने का इंतजार हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री इन तीनों फैसलों पर भी नए साल में निर्णय ले सकते हैं।

यूसीसी में ये खास प्रावधान हो सकते

  • महिलाओं के लिए विवाह की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष।
  • विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • जो व्यक्ति अपनी शादी का पंजीकरण नहीं कराएंगे वे सरकारी सुविधाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
  • लिव-इन जोड़ों को अपने फैसले के बारे में अपने माता-पिता को सूचित करना होगा
  • हलाला और इद्दत की प्रथा बंद होगी। बहुविवाह (एक से अधिक पत्नियां रखने की प्रथा) भी गैरकानूनी होगा।
  • पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक दिया जाएगा।
  • मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी सिफारिश हो सकती है।