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क्या वास्तु दोष की वजह से हार गये सीएम धामी चुनाव ?
देहरादून. उत्तराखंड में भाजपा ने बहुमत हासिल किया लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद अपनी सीट खटीमा नहीं बचा पाए. भाजपा के लिए एक तरफ खुशी थी तो उसका स्वाद कुछ फीका भी रहा क्योंकि पार्टी के कप्तान रहे धामी कांग्रेस के भुवनचंद्र कापड़ी के सामने जीत नहीं दर्ज कर सके. धामी के हारते ही कारणों की तलाश शुरू हुई और राजनीतिक कारणों से इतर एक एंगल और सामने आया. उत्तराखंड की राजनीति के पंडित मान रहे हैं कि राज्य में मुख्यमंत्री का जो आधिकारिक निवास है, उसी से जुड़े अपशकुन के चलते धामी की हार हुई है.
ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड के सीएम हाउस में जो भी मुख्यमंत्री निवास करता है, वह अगले कार्यकाल से वंचित रह जाता है. 2021 की जुलाई में जब धामी राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए थे, उसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने पंडितों, पुरोहितों से पूजाएं, कर्मकांड और वास्तु दोष निवारण आदि करवाया था. इसके बाद ही वह आधिकारिक सीएम हाउस में गए थे, लेकिन अब माना जा रहा है कि वो कवायद भी धामी का भाग्य नहीं बदल सकी. धामी किसी तरह दोबारा सीएम बन जाते हैं, तो सियासी पंडितों को फिर इस तरफ सोचना पड़ेगा, लेकिन अभी धामी के चुनाव हारने के बाद तो यह मान्यता कायम दिख रही है.
आखिर क्यों है ऐसी मान्यता?
सीएम हाउस के मनहूस होने से जुड़ी कहानी के पीछे तर्क यह है कि जो तीन मुख्यमंत्री इस बंगले में रहने पहुंचे, उन्हें पद से समय पूरा होने से पहले ही जाना पड़ा. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा और त्रिवेंद्र सिंह रावत वो तीन सीएम थे. इस हैट्रिक से यह पुख्ता ढंग से माना जाने लगा कि यह बंगला ही मुख्यमंत्रियों की बदकिस्मती है. इस मान्यता पर ही भरोसा करते हुए हरीश रावत और तीरथ सिंह ने यहां न रहने का फैसला किया था. हालांकि, इन दोनों मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल भी सुचारू ढंग से नहीं चला.
कैसा है मनहूस कहा जाने वाला सीएम हाउस?
देहरादून में स्थित इस बंगले को 16 करोड़ रुपये की लागत से बनवाया गया था. इसके भीतर 8 किंगसाइज़ बेडरूम हैं. इसके अलावा, 2 लिविंग रूम, एक बड़ा हॉल और सीएम के आधिकारिक कामों के लिए अच्छी खासी जगह है. न्यू कैंटोनमेंट रोड पर 10 एकड़ से भी ज़्यादा जगह में बने इस बंगले में स्वीमिंग पूल से लेकर हर तरह की सुख सुविधा है.
और ऐसी मान्यताएं टूटती भी हैं…
उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही एक विश्वास रहा, जो इस चुनाव में ध्वस्त हुआ. कहा जाता था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है या वहां एक्सप्रेस वे जैसे निर्माण करवाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है. योगी आदित्यनाथ नोएडा नोएडा दौरे पर भी गए और वहां एक फ्लायओवर के निर्माण को हरी झंडी भी दी, लेकिन इस बार भाजपा और सीएम योगी दोनों ने ही यूपी में बड़ी जीत दर्ज की.